ध्यान पूरी तरह से अपनी चेतना को एक आदर्श आइना बनाने के बारे में है ताकि हम ख़ुद को उसमें देख सकें।
दाजी
June 16th 2025
यदि आत्मा और शरीर न होते तो मन भी न होता क्योंकि इन दोनों के मेल से ही मन अस्तित्व में आता है।
लालाजी
June 15th 2025
ध्यान के ज़रिए हम मस्तिष्क की जटिलता से हृदय की सरलता की ओर बढ़ते हैं।
दाजी
June 14th 2025
हर दिन अपनी नियति को निर्मित करने का एक सुनहरा अवसर होता है।
दाजी
June 13th 2025
बच्चे दर्पण की तरह होते हैं, हमारे लाख छिपाने की कोशिश के बावजूद भी एक बच्चे में सच को समझने की अनोखी योग्यता होती है।
चारीजी
June 12th 2025
जब मन ढुलमुल हो और निरुद्देश्य भटकता रहे तब हम अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाते हैं।
दाजी
June 11th 2025
आलोचना हमें हमारी कमज़ोरियों को लगातार सुधार कर विकसित होने में मदद करती है।
लालाजी
June 10th 2025
हमें जो कुछ भी चाहिए, एक प्रकाश-स्रोत के रूप में हमारे हृदय में पहले से ही मौजूद है।
दाजी
June 9th 2025
प्रेम के बारे में सोचना ध्यान नहीं है, प्रेम को महसूस करना ध्यान है।
दाजी
June 8th 2025
हमारा आध्यात्मिक प्रशिक्षण तभी प्रभावी कहलाता है जब उसके अभ्यास से हमारे अंदर स्वाभाविक रूप से आंतरिक शांति और हल्कापन पैदा हो।
बाबूजी
June 7th 2025
बाहर शान्ति बनाने के लिए पहले उसे दिल में होना चाहिए।
दाजी
June 6th 2025
हमें जिन चीज़ों की ज़रूरत होती है, वे हमारे भीतर पहले से ही मौजूद हैं।
दाजी
June 5th 2025
जीवन को संयमित बनाने के लिए हमें जीवन के आंतरिक और बाहरी, दोनों तौर-तरीक़ों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
बाबूजी
June 4th 2025
अपने रवैये में अड़ियलपन को छोड़कर लचीलापन लाएँ। फिर देखें, आपकी आध्यात्मिक प्रगति कितनी तेज़ी से होती है।
दाजी
June 3rd 2025
जब आप प्रियतम के साथ होते हैं तो इससे क्या फ़र्क पड़ता है कि आप जीतें या हारें?
दाजी
June 2nd 2025
कर्म का उद्देश्य जीवन की अभिव्यक्ति मात्र है। यदि जीवन बिना किसी को हानि पहुँचाए स्वयं को स्वाभाविक रूप से अभिव्यक्त करता है तो इसमें पाप या पुण्य कुछ नहीं होता।
लालाजी
June 1st 2025
प्रार्थना एक ऐसी आकांक्षा और तड़प पैदा करती है जिसका समाधान गहन ध्यान में जाकर मिलता है।