जेसन नटिंग एक व्यायाम और पोषण आहार विशेषज्ञ तथा ध्यान के अभ्यासी हैं। वे अपने अनुभव के आधार पर तनाव में ज़्यादा खाने के चक्र को तोड़ने के लिए उपाय सुझा रहे हैं। शायद आपने इनके बारे में पहले न सुना हो लेकिन उनका यह अप्रचलित तरीका कारगर है।

 

म सभी इससे गुज़रे हैं – जब हम तनाव की स्थिति में चिप्स के एक पैकेट या थोड़ी सी आइसक्रीम को ध्यान से देखते हैं तब ऐसा लगता है मानो वे खाद्य पदार्थ ही हमारी सभी समस्याओं का हल है, भले ही वह एक क्षण के लिए ही क्यों न हो। लेकिन एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि तनाव में ज़्यादा खाने से शायद हम थोड़े से समय के लिए बेहतर महसूस करें लेकिन आगे जाकर अक्सर हमें ज़्यादा खराब महसूस होता है।

एक ऐसे व्यक्ति के रूप में, जो 15 से अधिक वर्षों से पोषण-आहार और स्वास्थ्य पर लोगों को प्रशिक्षित कर रहा है, मैंने प्रत्यक्ष रूप से देखा है कि भावनात्मक खान-पान कितनी आम बात है। दरअसल मेरे 60 प्रतिशत से अधिक ग्राहकों का कहना है कि वे इससे जूझ रहे हैं। यह तब की बात है जब इस संसार में महामारी के कारण उथल-पुथल नहीं मची थी। चाहे तनाव हो या बैचेनी, उदासी हो या नीरसता या फिर दुख हो, सुकून पाने के लिए खाने की ओर ध्यान जाना स्वाभाविक है। भोजन ऊर्जा प्रदान करने के स्रोत से कुछ अधिक है - यह भावनाओं, यादों और सुकून से संबद्ध है। लेकिन जब आप इसे एक सहारे की तरह उपयोग करने लगते हैं तब तनाव में ज़्यादा खाने का सिलसिला आरंभ होता है।

तनाव में ज़्यादा खाने की इच्छा कुछ ऐसी है जैसे एक घाव, जिस पर टांका लगाने की ज़रूरत है, उस पर बैंड-एड लगा दिया जाए। यह समस्या को थोड़ी देर के लिए टाल तो सकती है लेकिन उसका उपचार नहीं कर सकती। इससे भी बुरा प्रभाव यह होता है कि ज़्यादा खाने की इस आदत से बाद में हमें अक्सर अपराधबोध होता है और यह चक्र बना रहता है। यदि आप अपने किसी मित्र की मदद करना चाहते हैं अथवा अपने लिए कोई समाधान तलाश कर रहे हैं तो ये तीन उपाय हैं जो आपकी सहायता कर सकते हैं। ये ‘मात्र स्वास्थ्यप्रद भोजन खाएँ’ जैसी सामान्य युक्तियाँ नहीं हैं बल्कि थोड़ी अलग हैं जो इस चक्र को तोड़ने में सहायक हो सकती हैं।

उपाय 1

अधिक खाने की अनुमति
(हाँ, वास्तव में)

यह शायद आपको सामान्य समझ के विपरीत लगे लेकिन पहले मेरी बात पर ध्यान दें। हमारे मस्तिष्क को पैटर्न पसंद होते हैं। जब हम तनाव में खाते हैं तो यह अक्सर किसी उत्प्रेरक के प्रति एक स्वतः होने वाली प्रतिक्रिया होती है - जैसे एक तनावपूर्ण फ़ोन कॉल, एक जटिल वार्तालाप या फिर कार्यस्थल पर एक दूभर दिन। इन उत्प्रेरकों से हमारे मस्तिष्क में प्रतिक्रियाओं के बाद प्रतिक्रियाएँ होने लगती हैं जिससे हम अनजाने ही अधिक खाने लगते हैं।

एक विचित्र सुझाव - स्वयं को अधिक खाने दें। अपनी इस प्रबल इच्छा से संघर्ष करने के बजाय इसे कुछ सीखने के अनुभव के रूप में लेने की कोशिश करें। जब आप बिना किसी मूल्यांकन के अधिक खाने लगते हैं तब आप, जो कुछ हो रहा है, उस पर ध्यान देने लगते हैं। आप शायद ध्यान दें कि जब भी आप किसी व्यक्ति विशेष से बात करते हैं तब आपका हाथ सीधे किसी खाने की चीज़ की ओर बढ़ता है। या जब आप चिंतित होते या ऊबने लगते हैं तब आप ज़्यादा खाने लगते हैं।

 

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इसे एक प्रयोग की तरह मानते हुए आप अपनी प्रबल इच्छाओं के कारणों को समझ सकते हैं। जब आप यह जान लेते हैं कि किस कारण से आप ज़्यादा खा रहे है तब आप समस्या के मूल कारण को दूर करने की कोशिश कर सकते हैं। अक्सर स्वयं को अधिक खाने की छूट देने मात्र से ही वह प्रबल इच्छा कम होने लगती है। जब किसी चीज़ से पाबंदी हटा ली जाती है तब उस चीज़ का आपके ऊपर प्रभाव कम होने लगता है।

उपाय 2

एक ‘पोषण-आहार सूची’ बनाएँ

तनाव में ज़्यादा खाने के चक्र को तोड़ने का सबसे प्रभावी तरीका एक पोषण-आहार सूची बनाना है। यह खाने के लिए आहार सूची नहीं है - यह आहार तक पहुँचने से पहले किए जाने वाले कुछ कार्यों की सूची है। इसे तनाव में ज़्यादा खाने की अपने आप होने वाली प्रतिक्रिया को बाधित करने के एक तरीके के रूप में समझें।

यह कैसे काम करता है - आप भोजन तक पहुँचने से पहले अपनी इस सूची में से एक कार्य चुन लें। यह बहुत सरल-सा कार्य हो सकता है - जैसे तीन गहरी साँसें लेना, एक गिलास पानी पीना या थोड़ी दूर तक पैदल चलना। इसके पीछे का विचार है कुछ क्षणों के लिए रुकना तथा अपना अवलोकन करना। क्या आपको वास्तव में भूख लगी है या आप सिर्फ़ अपनी भावनाओं को शांत करने का प्रयास कर रहे हैं?

 

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आपकी पोषण-आहार सूची में उन कार्यों को शामिल होना चाहिए जो आपके मूल्यों और लक्ष्यों से मेल खाते हों। उदाहरणार्थ यदि आप रिश्तों को महत्व देते हैं तो एक मित्र को फ़ोन करना भी आपके विकल्पों में से एक हो सकता है। यदि आप स्वास्थ्य को महत्व देते हैं तो एक त्वरित या हल्का-फुल्का व्यायाम करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

इसके सफल होने की कुंजी इसे सरल व करने योग्य बनाने में है। आपकी सूची में ऐसे विकल्प होने चाहिए जिनमें 15 मिनट से ज़्यादा का समय न लगे - और बेहतर होगा कि आपके पास एक या दो विकल्प ऐसे भी हों जिनमें एक मिनट या कम का समय लगे। ज़रूरत की कुछ सामग्री अपने साथ रखें जैसे एक पानी की बोतल या एक नोटपैड ताकि सूची पर अमल करना आसान हो।

यदि आप अपने अंतःकरण से अधिक गहराई से जुड़ना चाहते हैं और अपने मन को निर्मल बनाना चाहते हैं तो हार्टफुलनेस सफ़ाई के एक छोटे से अभ्यास को अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं। मन में जमे हुए किसी भी तनाव, भारीपन और भावनात्मक बोझ को साफ़ करने के लिए हार्टफुलनेस सफ़ाई एक सरल लेकिन प्रभावी तकनीक है। खाने की तरफ़ दौड़ने के त्वरित उपाय के बजाय यह एक नई शुरुआत करने और अपने आप को पुनर्केंद्रित करने का एक तरीका है जो आपकी वास्तविक ज़रूरतों की पूर्ति को आसान बना देगा।

इसे कैसे करें - अपनी आँखें बंद करें और आराम से बैठ जाएँ। कल्पना करें कि आपके अंदर का समस्त भारीपन, अशुद्धियाँ और जटिलताएँ आपकी रीढ़ के आखिरी मनके से लेकर सिर के शिखर तक आपकी पीठ से निकल रही हैं। कल्पना करें कि वे धुएँ या भाप के रूप में आपके शरीर से निकल कर बाह्य वातावरण में विलुप्त हो रही हैं। यह अभ्यास केवल कुछ मिनट का ही समय लेगा लेकिन आपकी मन:स्थिति पर इसका गहरा प्रभाव हो सकता है।

सफ़ाई की प्रक्रिया सीखने के लिए - https://hfn.link/hincleaning

उपाय 3

आत्म-सहानुभूति का अभ्यास करें

हम अक्सर अपने स्वयं के सबसे बड़े आलोचक होते हैं, विशेषकर जब खाने की बात होती है। अपने आप से नकारात्मक बातें करने से बहुत आसानी से तनाव में ज़्यादा खाना शुरू हो सकता है। “मैंने वह क्यों खाया?” “मैं कितना मूर्ख हूँ कि मैंने पूरा पैकेट खत्म कर दिया।” यह बात सुनी हुई लगती है? इस प्रकार की सोच न केवल हमें बुरा महसूस कराती है बल्कि सच कहें तो यह तनाव में ज़्यादा खाने के चक्र को बढ़ाती भी है।


तनाव में ज़्यादा खाना एक जटिल समस्या है और इसका ऐसा कोई एक समाधान नहीं है जो सभी पर लागू हो सके। लेकिन जागरूकता विकसित करकेनई आदतों को अपनाकर और आत्म-सहानुभूति का अभ्यास करके आप इस चक्र को तोड़ने की शुरुआत कर सकते हैं।


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यहीं पर आत्म-सहानुभूति की भूमिका आती है। स्वयं को कोसने के बजाय स्वयं पर कुछ दया दिखाने का प्रयास करें। इस बात को स्वीकार करें कि अनेक लोग तनाव में ज़्यादा खाने से जूझ रहे हैं और इसमें असफल होना भी एक सामान्य बात है। जब आप अपने प्रति दया और समझदारी का दृष्टिकोण अपनाते हैं तब आप ‘परवाह नहीं’ वाली मानसिकता, जो तनाव में ज़्यादा खाने की तरफ़ ले जाती है, में नहीं फंसते हैं।

आत्म-सहानुभूति आपको जो चाहें वह खाने की खुली छूट नहीं देती। यह इस बात को मान्यता देती है कि आप एक इंसान हैं और आप अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं। यह एक तरह से पूरे परिदृश्य को देखकर अपने साथ उसी दयालुता से व्यवहार करना है जैसा आप एक मित्र के साथ करेंगे।

सारांश

तनाव में ज़्यादा खाना एक जटिल समस्या है और इसका ऐसा कोई एक समाधान नहीं है जो सभी पर लागू हो सके। लेकिन जागरूकता विकसित करके, नई आदतों को अपनाकर और आत्म-सहानुभूति का अभ्यास करके आप इस चक्र को तोड़ने की शुरुआत कर सकते हैं। याद रखें यह पूर्णता प्राप्त करने से नहीं बल्कि प्रगति से संबंधित है। हर बार जब आप खाने के पहले थोड़ा रुकते हैं और अपनी पोषण-आहार सूची से एक कार्य को चुनते हैं अथवा आत्म-सहानुभूति का अभ्यास करते हैं तब आप स्वस्थ आदतों की तरफ़ एक कदम बढ़ाते हैं।

यह याद रखना भी महत्वपूर्ण है कि खान-पान से संबंधित आपका व्यवहार आपकी एक व्यक्ति के रूप में पहचान नहीं है। आप जो खा रहे हैं आप उससे बेहतर हैं। इसलिए अगली बार जब तनाव या भावनाओं में बहकर कुछ खाने के लिए आप आगे बढ़ें तो एक क्षण के लिए स्वयं को टटोलें। आप वास्तव में क्या चाहते हैं? क्या आपको भोजन ही चाहिए या कुछ और?

अपने कारणों को समझने के लिए समय निकालकर, अन्य तरीकों से स्वयं को पोषित करके और अपने प्रति दयालु बनकर आप खान-पान के साथ अपने रिश्ते को बदलने की शुरुआत कर सकते हैं। यह कोई आसान प्रक्रिया नहीं है लेकिन इसका प्रयास करना आवश्यक है। आखिरकार एक मुश्किल परिस्थिति से बाहर निकलने का रास्ता उसे पार करना ही है। और आप इतने मज़बूत तो हैं ही कि उसे पार कर लेंगे।


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जेसन नटिंग

जेसन नटिंग

जेसन एक व्यायाम एवं पोषण विशेषज्ञ हैं। इनके कार्य की शुरुआत अमेरिका की वायुसेना से हुई थी और बाद में वे एक प्रमाणित कोच बन गए जिसके तहत उन्होंने मोटापा कम करने, कार्य-प्रदर्शन एवं प... और पढ़ें

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