सेंथिल कुमार विश्वनाथन प्राणाहुति के साथ ध्यान करने का अपना अनुभव बताते हुए कह रहे हैं कि इस अत्यंत सुंदर ऊर्जा की वजह से आध्यात्मिक यात्रा में गहराई से उतरना बहुत आसान है।

 

मैं विगत 25 वर्षों से प्राणाहुति के साथ ध्यान कर रहा हूँ और मैं एक उपमा द्वारा प्राणाहुति के साथ एवं प्राणाहुति के बिना ध्यान के बीच के अंतर को स्पष्ट करना चाहूँगा।

हम सभी हवाई जहाज़ में उड़ान के दौरान संगीत सुनने के आदी हैं। उस समय पृष्ठभूमि शोर इतना ज़्यादा होता है कि सामान्य हेडफ़ोन से संगीत मुश्किल से सुनाई देता है। इसका एक समाधान है, शोर खत्म करने वाले (noise cancelling) हेडफ़ोन का उपयोग करना। ऐसे हेडफ़ोन का उपयोग करने से पृष्ठभूमि में हवाई जहाज़ की बहुत अधिक आवाज़ होने पर भी संगीत बहुत स्पष्ट और श्रव्य हो जाता है। यह वास्तव में कैसे होता है? शोर का निवारण करने के यंत्र में ऐसे स्पंदनों का उपयोग किया जाता है जो शोर के विपरीत चरण में होते हैं, ये पृष्ठभूमि के शोर को निष्प्रभाव कर देते हैं। इससे संगीत इतना स्पष्ट हो जाता है कि हम संगीत में मौजूद सबसे छोटी और सूक्ष्म आवाज़ें भी सुन पाते हैं, हालाँकि हमारे चारों ओर बहुत शोर हो रहा होता है।

इसी तरह, जब हम प्राणाहुति के साथ ध्यान करते हैं तब वास्तव में क्या होता है? प्राणाहुति एक सूक्ष्म परिवर्तनकारी ऊर्जा है और यह शोर-निवारक हेडफ़ोन की तरह एक क्षेत्र बनाती है जहाँ मन का शोर कुछ हद तक निष्प्रभाव होने लगता है। इसकी वजह से हम उस मन के शोर के नीचे की सूक्ष्म हरकतों को वास्तव में महसूस कर पाते हैं। यह प्राणाहुति एक जीवित गुरु से आने वाली स्पंदनीय ऊर्जा है जो ऐसा क्षेत्र बनाती है जहाँ मन काफ़ी आसानी से शांत होने लगता है।

प्राणाहुति के बिना ध्यान करना सामान्य हेडफ़ोन का उपयोग करके संगीत सुनने जैसा है - बाहरी शोर बहुत अधिक होता है। भले ही संगीत चल रहा हो, लेकिन सूक्ष्म ध्वनियाँ पृष्ठभूमि में हो रहे शोर से दब जाती हैं और ठीक से सुनाई नहीं देतीं। हालाँकि हम कुछ-कुछ सुन पाते हैं, लेकिन यह शोर-निवारक हेडफ़ोन का उपयोग करके सुनने जितना अच्छा नहीं होता। हालाँकि प्राणाहुति के बिना हम कुछ हद तक ध्यान कर पाते हैं लेकिन यह प्राणाहुति के साथ ध्यान करने जितना गहरा और तल्लीनता वाला नहीं होता।

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प्राणाहुति सूक्ष्म स्पंदनीय ऊर्जा है जिससे ऐसा आंतरिक क्षेत्र बनता है जहाँ ध्यान करना आसान हो जाता है। लेकिन, जब मन की हलचल कम हो जाती है तब सूक्ष्मता को महसूस करने के लिए सतर्क रहना महत्वपूर्ण है, वरना हम आसानी से उसे महसूस करने से चूक सकते हैं या सो भी सकते हैं। इसी तरह, ध्यान करते समय मन के शोर और हलचल के नीचे जो कुछ छिपा है उसे महसूस करने के लिए, उसका अवलोकन करने के लिए और उसका साक्षी बनने के लिए सतर्कता और जागरूकता की आवश्यकता होती है। यदि कोई पर्याप्त रूप से सतर्क रहे तो ऐसे में मन की सोचने-समझने की शक्ति यानी विवेक में वृद्धि होती है। इस उन्नत और विस्तारित विवेक का उपयोग करके, व्यक्ति अंदर की बातों को महसूस कर सकता है जैसे एक शांत और स्थिर तालाब में हम नीचे की चीज़ों को देख सकते हैं। अब, हम ऐसे मन के साथ क्या करते हैं जो सतर्क, जागरूक और तल्लीन है? दिन भर इस उन्नत तल्लीनता की स्थिति को बनाए रखने से, हम उच्चतर विवेक और जागरूकता के साथ अपने कार्यों को बेहतर और प्रभावी ढंग से कर पाते हैं।


प्राणाहुति सूक्ष्म स्पंदनीय ऊर्जा है जिससे ऐसा आंतरिक क्षेत्र बनता है जहाँ ध्यान करना आसान हो जाता है।


 


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सेंथिल विश्वनाथन

सेंथिल विश्वनाथन

सेंथिल दूरसंचार और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में इंजीनियरिंग प्रबंधन व्यवसायी हैं। इनके नाम पाँ... और पढ़ें

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