दाजी हार्टफुलनेस ध्यान की परिवर्तनकारी शक्तिप्राणाहुतिका वर्णन कर रहे हैं जिससे हमारा ध्यान अंदरहृदय के केंद्र की ओर मुड़ जाता है।

त्मिक अभ्यास और मनोभाव

प्रा णाहुति हार्टफुलनेस ध्यान की विशेषता है। यह हमारे ऊर्जा क्षेत्र में मौजूद आंतरिक जटिलताओं को हटाती है जिससे आध्यात्मिक चक्र स्वच्छ एवं प्रकाशित हो जाते हैं। इससे हम हल्का, शुद्ध एवं सहज महसूस करते हैं। प्राणाहुति प्रेम है और यह ध्यान को सचमुच ऊर्जस्वी बना देती है।

संस्कृत शब्द प्राणाहुति (प्राण + आहुति) में प्राण का अर्थ है ऊर्जा या सत्व और आहुति का अर्थ है देना। प्राणाहुति एक जीवित गुरु द्वारा दी जाती है जो अनंत स्रोत से जुड़ा हुआ होता है। अतः वे खाली हुए बिना, निरंतर प्राणाहुति दे सकते हैं। यह गुरु के माध्यम से साधकों के हृदयों तक बहने वाला दिव्य सत्व है, बिलकुल वैसे ही जैसे माँ का प्रेम अपने बच्चों के विकास व पोषण के लिए स्वाभाविक रूप से बहता रहता है।

जब एक हार्टफुलनेस का अभ्यासी प्राणाहुति के बारे में सोचता है, वह बहना शुरू हो जाती है और वह, चाहे जहाँ कहीं भी हो, उसे तुरंत प्राप्त करने लगता है क्योंकि प्राणाहुति भौतिक नियमों के अधीन नहीं है। प्रकाश भी तुरंत कहीं नहीं जा सकता। यदि हम आइंस्टीन के समीकरण E=mc2 में प्रकाश की गति की जगह कालातीत गति डाल दें तो उसकी परिणामी ऊर्जा अनंत होती है और उसका स्रोत भी अनंत ही होता है। यही प्राणाहुति है।

प्राणाहुति के प्रभाव को समझने में मदद करने वाला एक अन्य वैज्ञानिक सिद्धांत है ‘उत्क्रम-माप’ यानी एंट्रॉपी। उत्क्रम-माप किसी भी तंत्र में अव्यवस्था का माप है। इसके स्तर को कम रखने के लिए एक ऐसे निवेश की ज़रूरत होती है जो स्थिरता लाए ताकि तंत्र विघटित न हो। जब हमारा ध्यान बाहर की ओर रहता है तब हमारा तंत्र अस्थिर व अव्यवस्थित होता है और जब इसे अंदर केंद्र की ओर खींचा जाता है तब यह स्थिर होने लगता है। प्राणाहुति स्वाभाविक रूप से हमारे ध्यान को अंदर की ओर खींचती है और हमारा तंत्र बहुत स्थिर व संतुलित हो जाता है जिससे अव्यवस्था कम होती जाती है। और हमारा केंद्र क्या है? यह हमारी आत्मा है। हम तनावमुक्ति, मन की स्थिरता, भावनात्मक संतुलन और शांति के रूप में प्राणाहुति के प्रभाव को महसूस करते हैं।

 

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जब हम अपने मन को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं या चेतना की विभिन्न परतों में आगे नहीं बढ़ पाते हैं तब यह प्राणाहुति ही है जो छड़ी या बैसाखी की तरह काम करती है जिसकी सहायता से चेतना अन्य आयामों में विस्तार करती है। यह हमें एक स्तर से दूसरे स्तर तक जाने में सहायता करती है ताकि हम मन की अधिचेतना में उड़ान भर सकें और अवचेतना की गहराई में डुबकी लगा सकें। यही इसकी मुख्य भूमिका है।


 

आध्यात्मिकता का आह्वान है परिवर्तन - आज हम जो कुछ भी हैं, उससे बदलकर वह बनें जो हम बन सकते हैं। वह बनने से हमें क्या रोकता है? हमारे संस्कारों और अतीत की छापों से हमारे ऊर्जा क्षेत्र में होने वाला भारीपन। प्राणाहुति हमें इन बंधनों से मुक्त करती है। जिस प्रकार कपड़ों में मौजूद सिलवटों को इस्त्री से हटाया जाता है उसी प्रकार प्राणाहुति छापों को हटा देती है। प्राणाहुति संस्कारों के मूल तक जाकर उनके स्पंदनों को पूरी तरह से खत्म कर देती है।

केन उपनिषद् में प्राणाहुति का वर्णन ‘प्राणस्य प्राणः’ कहकर किया गया है जिसका अर्थ है ‘प्राण के प्राण’। जैसे ही हमें पहली बार प्राणाहुति मिलती है, हमारी आत्मा को पोषण मिलता है और हमारी प्राण ऊर्जा व अस्तित्व में ताज़गी आ जाती है, जैसे वर्षा-ऋतु की पहली बारिश के बाद पेड़ तरोताज़ा हो जाते हैं।

जब हम अपने मन को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं या चेतना की विभिन्न परतों में आगे नहीं बढ़ पाते हैं तब यह प्राणाहुति ही है जो छड़ी या बैसाखी की तरह काम करती है जिसकी सहायता से चेतना अन्य आयामों में विस्तार करती है। यह हमें एक स्तर से दूसरे स्तर तक जाने में सहायता करती है ताकि हम मन की अधिचेतना में उड़ान भर सकें और अवचेतना की गहराई में डुबकी लगा सकें। यही इसकी मुख्य भूमिका है।

हम हार्टफुलनेस ध्यान के पहले सत्र में ही प्राणाहुति प्राप्त करते हैं। और जब हमें प्राणाहुति के साथ और उसके बिना ध्यान करने में अंतर महसूस होता है, हम चेतना में आए परिवर्तन को समझ जाते हैं जो प्राणाहुति से होता है।


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दाजी

दाजी हार्टफुलनेसके मार्गदर्शक

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