घरअपनी देखभालएक नया जीवन भाग 2

दाजी  कुछ सरल मानसिक अभ्यास बता रहे हैं जो आपको अपने विचार व भावनाओं को स्वीकार करने और अपने अंदर शांति महसूस करने में मदद करेंगे। वे सबसे अच्छी तरह अकेले किए जाते हैं और सभी बहुत अच्छे संतुलनकारी अभ्यास हैं।

प्रिय मित्रों,

जीवन में ऐसा कई बार होता है कि हम दूसरों के कारण आहत होते हैं। शायद, वे हमें डाँट देते हैं, हमारी कमियाँ बताते हैं या बिना वजह हम से नाराज़ हो जाते हैं। और कई बार किसी प्रियजन के खोने पर हम दु:खी और उदास होते हैं। कभी कार्यस्थल पर लोगों के साथ हमारे दिन-प्रतिदिन के व्यवहार में कोई ऐसा व्यक्ति हो सकता है जिसका मनोभाव हमारी शांति कम कर देता है। कभी-कभी यदि लोग हमारी अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरते तो हम नाखुश हो जाते हैं। ये सभी परिस्थितियाँ हमारे मन में ऐसी तरंगें पैदा कर सकती हैं कि उस व्यक्ति द्वारा हमारे साथ किए गए दुर्व्यवहार को हम अपने मन से निकाल ही नहीं पाते।

इसके अलावा, ऐसी भी परिस्थितियाँ होती हैं जब हम दूसरों को जाने-अनजाने आहत कर देते हैं और फिर हमें बहुत अफ़सोस होता है। यदि किसी बहुत करीबी इंसान की मृत्यु हो जाती है तो संभवतः हम इस बात को लेकर बहुत दुखी हो सकते हैं कि हमने उससे कुछ बहुत महत्वपूर्ण बात नहीं कही जो हमें कहनी चाहिए थी लेकिन अब उसके लिए बहुत देर हो चुकी है। ये परेशान करने वाले मुद्दे हमारे हृदय पर भारीपन व छापें छोड़ सकते हैं।

हम इन सभी सामान्य मानवीय कमज़ोरियों का सामना कैसे करें? हम संतुलन की अवस्था कैसे प्राप्त करें जिसमें हम अपने व दूसरों के प्रति करुणा और समानुभूति महसूस करें? हम विचारों व भावनाओं को हमें परेशान करने से कैसे रोक सकते हैं और समाधान निकालने व स्वीकार्यता की भावना तक कैसे पहुँच सकते हैं?

यहाँ कुछ अभ्यास प्रस्तुत हैं जो आपको स्वीकार्यता और क्षमा करने की अवस्था तथा आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद करेंगे।

जिस व्यक्ति ने आपको आहत किया उसके हृदय में सकारात्मक विचारों का बीज बोना

आराम से बैठ जाएँ और अपनी आँखें बंद कर लें।

अपने सामने उस व्यक्ति के रूप की कल्पना करें।

यह विचार लें, “यह व्यक्ति मेरा मित्र व शुभचिंतक है।”

सोचें कि आपके बारे में उस व्यक्ति के मन से सभी नकारात्मक विचार बाहर जा रहे हैं और उनकी जगह आपके कल्याण से संबंधित विचार भर रहे हैं।

जब भी उस व्यक्ति के समीप जाने का अवसर मिले, हल्के से अप्रत्यक्ष रूप से उसके चेहरे पर ध्यान दें लेकिन घूरें नहीं।

श्वास छोड़ते समय विचार लें कि आपके प्रेम व स्नेह के कण उसके हृदय में प्रवेश कर रहे हैं।

श्वास लेते समय विचार लें कि आपके प्रति उसके हृदय से सभी नकारात्मक विचार आप खींचकर बाहर फेंक रहे हैं।

शुरुआत में यह कार्य शायद कठिन लगे और शायद आपको प्रतिरोध महसूस हो लेकिन यदि आप साहसी हैं तो अभ्यास करते-करते यह आसान लगने लगेगा।

अनसुलझी समस्याओं के लिए खाली कुर्सी की तकनीक

आमने-सामने दो कुर्सियाँ रखें।

एक कुर्सी पर खुद बैठ जाएँ और कल्पना करें कि दूसरा व्यक्ति आपके सामने दूसरी कुर्सी पर बैठा है और वह आपकी सब बातें सुन रहा है। आप अपने किसी भाग से भी बात कर सकते हैं।

अपने विचारों व भावनाओं को समझाते हुए अपनी बात की शुरुआत करें और जो कुछ भी आप उससे कहना चाहते हैं, कह डालें। अपने व दूसरे व्यक्ति के प्रति ईमानदार व सच्चे बनें।

जब आपको लगे कि जो कुछ भी ज़रूरी था वह सब आप व्यक्त कर चुके हैं तब उठकर दूसरी कुर्सी पर बैठ जाएँ और उस दूसरे व्यक्ति के नज़रिये से प्रत्युत्तर दें, अर्थात उसकी भूमिका निभाएँ।

इस सरल अभ्यास को तब तक दोहराया जा सकता है जब तक आपको दोनों पक्षों से समझ, शांति और जुड़ाव का एहसास न हो जाए।

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डायरी लेखन

प्रतिदिन शांति से अपनी डायरी के साथ 15 मिनट का समय बिताएँ। यह डायरी केवल आप देखेंगे। अपनी अनुभूतियों को जानें और उन्हें लिखें या उनका चित्र बनाएँ। बिना अधिक सोच-विचार किए या कोई राय बनाए यह करें। बस पन्नों पर अपनी अनुभूतियों को उतरने दें।

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आत्म-स्वीकार्यता

आराम से बैठकर तनावमुक्त हो जाएँ। अपनी आँखें बंद करके कुछ समय के लिए अपने मन को हृदय पर टिकाएँ। अपने हृदय की स्वाभाविक स्वीकार्यता को महसूस करें और इसे अपने अंदर फैलने दें। अपने पूरे शरीर में स्वीकार्यता की इस अवस्था का विस्तार होने दें।

यह दृढ़ विश्वास रखें कि आपके हृदय में एक जगह ऐसी है जो भय और क्रोध से पूर्णतः मुक्त है। उस जगह शरण लेने से आप पूर्ण स्वतंत्रता का अनुभव करेंगे। ध्यान का नियमित अभ्यास करने से आपको अपनी भावनात्मक सीमितताओं से मुक्ति का एहसास करने में मदद मिलेगी।

यदि आप गहन अवसाद या तीव्र भावनाओं का अनुभव कर रहे हैं तो कृपया अपने चिकित्सक से संपर्क करें।

अपने उच्चतर स्व और जीवन के उद्देश्य को गहराई से समझने की इस यात्रा में मैं आप सभी को शुभकामनाएँ देता हूँ।

दाजी


यह दृढ़ विश्वास रखें कि आपके हृदय में एक जगह ऐसी है जो भय और क्रोध से पूर्णतः मुक्त है। उस जगह शरण लेने से आप पूर्ण स्वतंत्रता का अनुभव करेंगे। ध्यान का नियमित अभ्यास करने से आपको अपनी भावनात्मक सीमितताओं से मुक्ति का एहसास करने में मदद मिलेगी।


 


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दाजी

दाजी हार्टफुलनेसके मार्गदर्शक

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