आधुनिक जीवन के लिए आध्यात्मिक अभ्यास और मनोभाव
हम अपने अतीत की छापों के अनुसार इस तरह नियोजित रहते हैं कि किसी भी वजह से हम ग्रहणशील या संकुचित हो सकते हैं। अगर आप गौर करें तो आप पाएँगे कि यह प्रतिदिन नियमित रूप से होता है।
—माइकल सिंगर
इस श्रृंखला की तीसरी कड़ी में दाजी हार्टफुलनेस सफ़ाई के अभ्यास के बारे में उनसे कई बार पूछे गए कुछ प्रश्नों के उत्तर दे रहे हैं।
‘जर्नल ऑफ़ साइकोपैथोलॉजी एंड क्लिनिकल साइंस’ में प्रकाशित वर्ष 1954 में किए गए एक लोकप्रिय अध्ययन के परिणामों को बताते हुए मैं शुरुआत करूँगा। डार्टमाउथ और प्रिंसटन के फ़ुटबॉल प्रशंसकों को उनकी टीमों के बीच एक विशेष रूप से कठिन मैच की रिकॉर्डिंग देखने के बाद एक प्रश्नावली दी गई क्योंकि शोधकर्ता यह समझना चाहते थे कि प्रशंसकों के अनुसार इस खेल में आखिर क्या हुआ था। परिणाम इतने अलग-अलग थे मानो वहाँ पर एक ‘खेल’ न होकर अनेक अलग-अलग खेल हुए थे। प्रशंसकों के पास घटनाओं के अलग-अलग विवरण थे और प्रत्येक विवरण उस व्यक्ति के लिए उतना ही वास्तविक था। प्रत्येक प्रशंसक का वास्तविकता का अपना ही विवरण था।
तब से हुए अनेक शोध यही दिखाते आए हैं कि हम संसार को अपने ही चश्मे से देखते हैं। हमारे मनोभाव, मान्यताएँ और पूर्वाग्रह हमारा दृष्टिकोण निर्धारित करते हैं। हम सभी में इस प्रकार का अनुकूलन होता है। हम कई चीज़ों को नहीं देख पाते और यह हमारी पसंद और नापसंद के कारण उत्पन्न होता है। वे अहानिकर प्रतीत हो सकते हैं लेकिन हमारी पसंद और नापसंद हमारी जागरूकता पर हावी हो जाती है। हमारे मन में चलने वाले अधिकांश विचारों का कारण यही पसंद और नापसंद का निरंतर चलने वाला प्रवाह होता है।
सफ़ाई की प्रक्रिया इन परतों को हटा देती है और फिर हम अपनी नियति का निर्माण करने के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं।
अगली बार जब आप किसी व्यस्त जगह पर हों जैसे कोई रेस्टोरेंट, भीड़-भाड़ वाला रास्ता हो या आप हवाई जहाज में हों, तब यह प्रयोग करके देखें। जब आप लोगों को विमान में चढ़ते हुए देखें तब अपने विचारों पर ध्यान दें। आप उनके रूप-रंग, उनके पहनावे, वे अपने साथ क्या सामान ले जा रहे हैं, वे कैसे बात करते हैं, वे अपना सामान कैसे रखते हैं इत्यादि का अवलोकन करते समय अपने मन में चलने वाले पसंद और नापसंद से संबंधित विचारों पर ध्यान दें। हममें से अधिकांश लोग अनजाने में ही खुद का और दूसरों का आकलन करते रहते हैं। सफ़ाई के अभ्यास से हम आकलन से स्वीकार्यता की ओर तथा स्वीकार्यता से करुणा और फिर करुणा से प्रेम की ओर बढ़ सकते हैं।
इस यात्रा की सफलता के लिए हमें अपने अंदर मौजूद अनुकूलित प्रतिरूपों को साफ़ करना होगा। यह अनुकूलन वर्षा के पानी से बनने वाली एक छोटी नहर के समान होता है। जब पानी एक ही जगह से बहता है तब वह एक नहर बना लेता है। समय के साथ यह नहर बड़ी होते-होते एक तेज़ बहाव वाली नदी बन जाती है। एक बार नहर बन जाने के बाद पानी केवल उसी रास्ते से बहता है। हमारी पसंद और नापसंद के कारण ऐसी छापें बन जाती हैं जिससे हमारा व्यवहार करने का तरीका बनता है। हम क्या सोचते हैं या कैसी प्रतिक्रिया करते हैं और हमें क्या पसंद या नापसंद है, यह सब कुछ इन्हीं छापों का ही परिणाम है। योगी इन छापों को संस्कार कहते हैं।
हार्टफुलनेस सफ़ाई के अभ्यास में क्या हटाया जाता है?
हममें से अधिकांश लोग जो जीवन जीते हैं, वे उन आदतों और तरीकों से नियंत्रित होते हैं जो हमारे समक्ष उजागर होते हैं। हम जिस प्रकार का जीवन जीना चाहते हैं, वह तभी संभव होगा जब हमारी छापें साफ़ हो जाएँगी।
अत: हार्टफुलनेस सफ़ाई हमारे अंदर से उन छापों, अर्थात अशुद्धियों और जटिलताओं, को हटाने का तरीका है जिन्हें हम प्रतिदिन इकट्ठा करते हैं। ये हमारे अनुभवों का भावनात्मक ‘आवेश’ तथा हमारे अतीत और हमारी यादों में पड़े हुए भावनात्मक अवशेष हैं। समय के साथ छापें प्रवृत्तियों के रूप में स्थिर हो जाती हैं जिसके कारण हमारी प्रतिक्रियाएँ और व्यवहार हमारी आदत बन जाते हैं। वे हमें स्वतंत्र नहीं होने देते।

दैनिक सफ़ाई के अभ्यास से हम दिन-ब-दिन हल्के होते जाते हैं। जब हम छापों की सफ़ाई करते हैं तब हम उन परतों को हटा देते हैं जो हमारे दृष्टिकोण को बिगाड़ देती हैं। ये छापें अवचेतन की सभी परतों में जमा हो जाती हैं जहाँ वे आत्मा को ढक लेती हैं। वे हमें हमारे अस्तित्व के केंद्र से अलग कर देती हैं। जब यह जाल सघन होता जाता है तब ये परतें भूगर्भीय तलछट के समान कठोर हो जाती हैं। और जैसा कि पुरातत्व-विज्ञान में होता है, वे हमारे अतीत का लेखा-जोखा बन जाती हैं। सफ़ाई की प्रक्रिया इन परतों को हटा देती है और फिर हम अपनी नियति का निर्माण करने के लिए स्वतंत्र हो जाते हैं।
सफ़ाई के अभ्यास का गहन परिणाम यह होता है कि यह हृदय के अंदर खालीपन पैदा करता है। फिर यह खालीपन स्वतः ही प्राणाहुति को आकर्षित कर लेता है। हार्टफुलनेस अभ्यास आरंभ करने के लिए प्रशिक्षक के साथ तीन परिचयात्मक सत्रों का यह भी एक कारण है। उन आरंभिक सत्रों में प्रशिक्षक आपके तंत्र से अशुद्धियों और जटिलताओं को हटाता है जिससे आपके भीतर अधिक हल्कापन पैदा हो जाता है। समय के साथ आप और अधिक शून्यता और हल्केपन का अनुभव करने लगते हैं जिसके फलस्वरूप दैवीय ऊर्जा आपकी ओर और भी अधिक प्रवाहित होने लगाती है।
क्या दिनभर की सभी घटनाओं को बाहर निकालने से पहले उन्हें याद करने की आवश्यकता है?
सफ़ाई का एक अनूठा पहलू यह है कि हम इस बात पर ध्यान नहीं देते कि क्या हटाया जा रहा है। दैनिक घटनाओं को याद करने से उनका प्रभाव और गहरा हो जाएगा। हमें अतीत को अपनी जागरूकता में लाकर उसे पुनः जीने की ज़रूरत नहीं है। इसके बजाए हम बिना आकलन किए एक सुझाव लेते हैं कि सभी अशुद्धियाँ और जटिलताएँ हटाई जा रही हैं। यह शुद्धता और प्रेम के जल में एक ताज़गी भरी डुबकी के सामान है जिसमें से हम तरोताज़ा होकर निकलते हैं।
अपने आप को एक सूक्ष्म सुझाव दें कि यह छाप पीछे से निकल रही है तथा हृदय और मन को उसकी सामान्य संतुलित स्थिति में वापस ला रही है।
मुझे सफ़ाई का अभ्यास कब करना चाहिए?
चूँकि सफ़ाई दिन भर जमा की गई छापों को हटाती है, अतः इसे शाम को करना ही सबसे अच्छा होता है जब आप दिन भर का अधिकतर काम निपटा चुके होते हैं। यह दिन भर की जमा गंदगी साफ़ करने के लिए नहाने जैसा है लेकिन इस समय यह मन की सफ़ाई है।
सफ़ाई के लिए सतर्कता की आवश्यकता होती है। अतः बेहतर होगा कि इसे सोने के समय तक के लिए न टालें क्योंकि तब आप उनींदे होते हैं और ठीक से सफ़ाई नहीं कर पाएँगे। सफ़ाई को न टालने का एक और कारण यह भी है कि यह हमारे अंदर इतनी ताज़गी भर देती है कि अगर आप इसे सोने के समय करते हैं तो आप सोने की बजाए और सजग हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, सफ़ाई के बाद बेहतर मनोदशा होने के कारण परिवार के सदस्यों के साथ आपके वार्तालाप में बहुत से छोटे-छोटे बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

आप दिन में कभी भी, आवश्यकतानुसार “तत्काल” सफ़ाई (spot cleaning) भी कर सकते हैं। यदि सुबह आपकी कमीज़ पर चटनी गिर जाए तो क्या आप उसे साफ़ करने के लिए शाम का इंतज़ार करते हैं? इसी प्रकार यदि दिन में कोई बात संतुलन बिगाड़ देती है तो कुछ समय निकालकर उन प्रभावों को वहीं और उसी समय हटा दें। तत्काल सफ़ाई परिस्थितिनुसार बैठकर, खड़े होकर या चलते हुए, आँखें खुली रखकर या बंद करके की जा सकती है। अपने आप को एक सूक्ष्म सुझाव दें कि यह छाप पीछे से निकल रही है तथा हृदय और मन को उसकी सामान्य संतुलित स्थिति में वापस ला रही है। फिर आपको पूरे दिन अपनी चेतना पर उस छाप का भारी बोझ नहीं ढोना पड़ेगा।
मान लीजिए मुझसे शाम की सफ़ाई छूट जाती है, तो मैं क्या कर सकता हूँ?
यदि आप शाम को सफ़ाई करने से चूक जाते हैं तो आप सोने से ठीक पहले इसे कर सकते हैं। यदि आप उस समय बहुत थके हुए हैं तो आप सुबह ध्यान करने से पहले सफ़ाई कर लीजिए।
क्या सफ़ाई द्वारा कुछ बीमारियों को दूर करना संभव है?
बीमारियों को दूर करने के लिए हार्टफुलनेस रिलैक्सेशन का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है। प्रक्रिया के अंत में प्रभावित अंग पर फिर से ध्यान लाएँ और धरती माँ की ऊर्जा को वहाँ प्रवाहित होने दें। उस अंग पर थोड़ा अधिक समय दीजिए और यदि आवश्यक हो तो आप उसे कोमलता से अपने हाथों से छूकर ऊर्जा को उस अंग या क्षेत्र में प्रवाहित होने देकर आराम पहुँचाने दे सकते हैं।

सफ़ाई के दौरान आप अतिरिक्त सुझाव भी दे सकते हैं - “सभी अशुद्धियों और जटिलताओं के साथ-साथ मुझे इस तकलीफ़देह बीमारी से भी छुटकारा मिल रहा है।” निस्संदेह, यह चिकित्सकों द्वारा की जाने वाली नियमित चिकित्सकीय प्रक्रिया का विकल्प नहीं है।