जी हाँ, आप यह कर सकते हैं!

दाजी आपको दूसरों के लिए कुछ करने में समय बिताने के लिए आमंत्रित करते हैं। चाहे वह स्वयंसेवक बनना हो, दूसरों की निस्स्वार्थ सेवा करना हो या अपने समुदाय के स्थानीय वातावरण की सफ़ाई करना हो, हर छोटा कार्य महत्वपूर्ण है। दाजी रात्रि के समय की एक सरल क्रिया भी बता रहे हैं जिसे बदलाव लाने के लिए हम सब कर सकते हैं। 

“ मैं अपने समय का एक हिस्सा दूसरों की मदद करने में लगाती हूँ। यह मेरे अपने स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। — लुईस हे

 

प्रिय मित्रों,

बहुत से युवा और वृद्ध लोग मुझे बताते हैं कि आपदाओं, युद्धों और हमारी प्यारी पृथ्वी पर मानव व्यवहार के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों की लगातार आने वाली खबरों से वे कैसे असहाय और हताश महसूस करते हैं। वे भविष्य को लेकर अनिश्चित और चिंतित हैं। सचमुच ये खबरें परेशान करने वाली हैं।

लेकिन खबरें हमें सब कुछ नहीं बतातीं। दुनिया भर में कई व्यक्तियों, समूहों और संगठनों के कार्यों के बारे में हम क्या जानते हैं? ये व्यक्ति और समूह निस्स्वार्थ भाव से दूसरों की, जो कम भाग्यशाली हैं, मदद करने के लिए काम कर रहे हैं, पर्यावरण की सफ़ाई कर रहे हैं, पेड़ लगा रहे हैं और दूसरों को खाना खिला रहे हैं तथा दया, करुणा और प्रेम के कार्यों के माध्यम से उम्मीद जगा रहे हैं।

सेवा का सिद्धांत हमेशा से चलता आ रहा है। सेवा अपने सूक्ष्म सार में बाहरी क्रियाओं तक ही सीमित नहीं है। यह अस्तित्व की एक अवस्था है, जीने का एक तरीका है जो प्रेम को कार्यान्वित करने का प्रतीक है जिसमें पुरस्कार या सम्मान की कोई अपेक्षा नहीं होती। यह एक ऐसा मनोभाव है जो अंततः हमारा स्वभाव बन जाता है। निस्स्वार्थ सेवा करना और स्वयंसेवी बनना व्यक्ति में बदलाव लाते हैं। वे हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य और आध्यात्मिक विकास के साथ-साथ सामूहिक उत्थान में भी योगदान देते हैं।

3 से 4 वर्ष की आयु के बच्चों के साथ किए गए एक प्रयोग से पता चला है कि बिना किसी व्यक्तिगत लाभ के मदद करना मानव की जन्मजात क्षमता है। इस प्रयोग में एक वयस्क फ़र्श से एक गेंद उठाता है और फिर उसे गिरा देता है। वह उदासी का दिखावा करते हुए उसे दोबारा उठाता है और फिर से गिरा देता है। यह दिखावा कुछ और बार जारी रहता है और तब एक बच्चा उस वयस्क के पास जाता है और गेंद उठा कर उसके हाथों में दे देता है। यह सरल है।

स्वैच्छिक सेवा और निस्स्वार्थ सेवा सीधे हमारे आत्म-सम्मान की भावनाओं को पोषित करती हैं - ये भावनाएँ अकेलेपन को दूर करती हैं, हमें हमारे एकाकीपन से बाहर लाती हैं, हमें नए अनुभवों के प्रति ग्रहणशील बनाती हैं और हमारा आत्मविश्वास बढ़ाती हैं। ये जीवन का उद्देश्य देती हैं एवं आत्म-सम्मान जगाती हैं जिससे हम महसूस करते हैं कि हमें महत्व दिया गया है और परिणामस्वरूप हम तनाव और अवसाद से बचे रहते हैं।

आप क्या करना चाहेंगे?

यह एक ऐसा प्रश्न है जिसके अनेक उत्तर हो सकते हैं। हमारी जीवनशैली और ज़िम्मेदारियाँ यह निर्धारित करती हैं कि हममें से कोई कितना कुछ कर सकता है। अतः यह बहुत सरल बात भी हो सकती है। जिनके पास अधिक समय और ऊर्जा है उनके लिए ऐसे बड़े संगठनों में कई कार्य हैं जिन्हें करके वे कम भाग्यशाली लोगों और पर्यावरण की मदद करते हैं। 


निस्स्वार्थ सेवा करना और स्वयंसेवी बनना व्यक्ति में बदलाव लाते हैं।  वे हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य और 
आध्यात्मिक विकास के साथ-साथ सामूहिक उत्थान में भी योगदान देते हैं।


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यह उतना ही सरल हो सकता है जैसे किसी अकेले रहते बुज़ुर्ग से मिलना या किसी पशु बचाव केंद्र या बेघर-आश्रय स्थल में स्वयंसेवा करना, खाद्य बैंक में काम करना, बेकार भूमि में दूसरों के लिए सब्ज़ी उद्यान बनाना, प्लास्टिक का उपयोग कम करना, कूड़े को साफ़ करना, दयालुता के छोटे-छोटे कार्य करना या दूसरों को ध्यान करना व तनावमुक्त होना सिखाना। इस तरह के बहुत सारे तरीके हैं। 
आपको ऐसी आवश्यकता कहाँ दिखाई देती है जो आपके दिल में अनुनादित होती है? 

रात 9 बजे मानवता के लिए प्रार्थना  
दूसरों की सेवा करने का एक और सूक्ष्म व शक्तिशाली तरीका है और वह है प्रार्थना। एक प्रार्थना जो पीड़ा को कम करने और खुशी लाने की वास्तविक इच्छा के साथ सच्चे दिल से निकलती है, वह परिवर्तन लाने के लिए एक विशिष्ट स्पंदन पैदा करती है। मैं आपको अपने स्थानीय समय पर रात 9 बजे 15 मिनट के लिए दुनिया भर के हज़ारों अन्य लोगों के साथ प्रार्थना करके हमारे वैश्विक अभियान में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूँ। यह आपके हृदय में एक सुंदर प्रतिध्वनि, एक कोमलता और जुड़ाव की भावना पैदा करती है जो सभी तक विस्तारित होती है -

हर कोई प्रेम और भक्ति से भर रहा है और उनमें सच्ची श्रृद्धा दृढ़ हो रही है।

संसार में सत्य, धर्म और आस्था की स्थापना हो रही है।

हमारे देश और हमारी पृथ्वी के सभी प्रकार के विकर्षण दूर हो रहे हैं।

ईश्वर करे पूरी पृथ्वी शांति और प्रेम से भर जाए।


जब हम एक समय में एक कदम उठाते हैं और प्रतिदिन एक सकारात्मक काम करते हैं तब हम सामूहिक रूप से दयालु 
और निस्स्वार्थ कार्यों के माध्यम से दूसरों के लिए खुशी, परवाह की भावना और आशा ला सकते हैं।


जब हम एक समय में एक कदम उठाते हैं और प्रतिदिन एक सकारात्मक काम करते हैं तब हम सामूहिक रूप से दयालु और निस्स्वार्थ कार्यों के माध्यम से दूसरों के लिए खुशी, परवाह की भावना और आशा ला सकते हैं। प्रत्येक कार्य, चाहे कितना भी मामूली क्यों न लगे, मानवता के सामूहिक कल्याण और हमारी प्रिय धरती माँ के कल्याण में योगदान देगा। हम न केवल दूसरों का उत्थान करेंगे बल्कि हम अपने गहन व्यक्तिगत विकास और संतुष्टि का भी अनुभव करेंगे।

शुभकामनाएँ,

दाजी।


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दाजी

दाजी हार्टफुलनेसके मार्गदर्शक

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