घरप्रेरणाशांति के अंतर्राष्ट्रीय शहर

जे. फ़्रेडरिक आर्मेंट क्रिस्टीन जोंस को दिए साक्षात्कार में अपनी संस्था, ‘इंटरनेशनल सिटीज़ ऑफ़ पीस’के बारे में और उन अन्य उपायों के बारे में बात कर रहे हैं जिनसे वे विश्व में शांति स्थापित करने का प्रयास करते हैं। इन सभी की बुनियाद है आपसी संबंधसमुदाय और प्रेम की अहमियत। बातचीत की श्रृंखला का यह प्रथम भाग है।

 

प्र. - फ़्रेड, आप ‘इंटरनेशनल सिटीज़ ऑफ़ पीस’ संस्था के संस्थापक निदेशक हैं जिसकी स्थापना पंद्रह वर्ष पहले हुई थी। आपका लक्ष्य वर्ष 2030 तक इसे 1000 शहरों तक पहुँचाना है। इस समय ऐसे 414 शहर हैं। आप डेटन के अंतर्राष्ट्रीय शांति संग्रहालय के सह-संस्थापकों में से एक हैं और आप खुद को शांति का समन्वयक मानते हैं। आपने अपना जीवन शांति स्थापित करने के प्रयासों के लिए समर्पित कर दिया है।

समन्वयक होने का विचार मुझे बहुत महत्वपूर्ण लगता है। पहले मुझे डायरेक्टर यानी निदेशक कह कर बुलाया जाता था लेकिन मैंने खुद को इस तरह संबोधित किए जाने से मना किया क्योंकि यहाँ सब कुछ साथ मिलकर किया जाता है, बिलकुल वैसे ही जैसे हार्टफुलनेस के केंद्रों में प्रशिक्षक समन्वयक ही हैं। वहाँ भी शांति स्थापित करने में सहयोग पर आधारित रिश्ता है। लोगों को यह बताने के बजाय कि वे शांति कैसे प्राप्त करें या उन्हें निर्देशित करने या समन्वयित करने के बजाय मैं उन्हें स्वयं शांति खोजने में सहायता करता हूँ। मैं एक दल का संचालन करता हूँ जिसे ICP सेंट्रल कहते हैं। हम इस दल को बहुत छोटा रखते हैं क्योंकि वास्तव में ‘सिटीज़ ऑफ़ पीस’ को ही प्रशंसा मिलनी चाहिए। वे लोग ही असली काम करते हैं। वे ही अग्रणी हैं। उन्हीं लोगों के दल अपने समुदायों में कार्य करते हैं। वे कार्य धन के लिए नहीं (हालाँकि, धन हमेशा उपयोगी होता है) बल्कि समुदाय और स्थान के प्रति प्रेम के कारण करते हैं। हम उस प्रेम को सुगम बनाते हैं और इसी से शांतिमय शहरों का निर्माण होता है।

प्र. - शांति की पहल करने की ओर प्रवृत्त होने के लिए किस चीज़ ने आपको प्रेरित किया? क्या आपके बचपन में कोई घटना हुई थी जिसने आपको इस दिशा में अग्रसर किया?

शायद ग्यारह साल की उम्र में बास्केटबॉल खेलते हुए मैं यह सोचता था कि आखिर यह क्या हो रहा है और ग्यारह साल का एक बच्चा संसार में किस तरह का योगदान दे सकता है। मैं लेखक बन गया - इसलिए नहीं कि मुझे बहुत ज्ञान था बल्कि इसलिए कि मेरे मन में बहुत सारे सवाल थे। प्रश्न करते-करते ही मैं इस विचार के प्रति प्रेरित हुआ कि हमें विश्व में शांति की ज़रूरत है।

हमने वर्ष 2005 में डेटन का अंतर्राष्ट्रीय शांति संग्रहालय खोला। मैं वहाँ आने वाले हर व्यक्ति से हाथ मिला रहा था। दरवाज़े से अंदर आने वाले हर एक व्यक्ति के पास शांति स्थापित करने का अपना अनुपम तरीका था। हमने उनके हर उस तरीके को लिख लिया जो शांति स्थापित करने के लिए लोग अपनाते हैं और मुझे यह एहसास हुआ कि हर व्यक्ति शांति स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। मेरे लिए यह एक मानो देवदृष्टि थी। यह इस विचार की तरह है कि जेल में कैद हत्यारा भी अपनी माँ से प्यार करता है। यह हृदय ही है जिसकी वजह से हर व्यक्ति शांति स्थापित करने की कोशिश करता है। हमने शासन-कला, ध्यान आदि सबके बारे में लिख लिया और शांति स्थापित करने के 30 विभिन्न तरीके खोज निकाले।

उसके बाद मैंने एक किताब लिखी, ‘द एलिमेंट्स ऑफ़ पीस’ (शांति के तत्व) जिसमें उन सभी 30 तरीकों का वर्णन है। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि आप कौन हैं, आपकी पृष्ठभूमि और आपके जीवन मूल्य क्या हैं, लेकिन यह इस बात पर निर्भर नहीं करता कि कोई व्यक्ति आपसे कहे कि आप शांति के लिए काम करें। आप जो भी करते हैं उससे फ़र्क पड़ता है, चाहे आप एक नर्स हों, एक शिक्षक हों, प्लंबर हों यानी कोई भी जो अपने हाथों से या दिमाग से या अपनी आत्मा से काम करता हो, हर कोई शांति के लिए ही काम करता है। इस बोध ने मुझे वर्ष 2000 के दशक की शुरुआत में काम करने के लिए एक नई दिशा दी।

प्र. - समुदायों और व्यक्तियों के शांति स्थापना के सभी अलग-अलग तरीकों को स्वीकारने की आपकी अद्भुत क्षमता की मैं प्रशंसा करती हूँ। कुछ लोगों का राजनैतिक दृष्टिकोण होता है और कुछ लोग अफ़्रीका के गाँवों में काम करते हैं। हार्टफुलनेस में हम मानते हैं कि आंतरिक शांति से ही विश्व शांति संभव है। क्या आप व्यक्तिगत रूप से कोई अभ्यास करते हैं जो वैश्विक शांति को परिभाषित करने वाले अलग-अलग तरीकों के बीच आपको स्थिर
व केंद्रित रहने में मदद करता है?

जी हाँ। जब आप दुनिया में चारों ओर देखते हैं तो पाते हैं कि ईमानदारी को बहुत कम महत्व दिया जाता है। मेरे पिताजी ईमानदार थे और उनकी ईमानदारी ने मुझे आत्मावलोकन करने और अन्य लोगों के साथ जुड़े रहने में बहुत मदद की। अगर आप ईमानदार हैं तो आप समझते हैं कि हम सब एक हैं और जो व्यक्ति बंदूक लेकर खड़ा है वह भी आपकी तरह ही है। शांति स्थापित करने की कोशिश करना ही हमारे अस्तित्व का सार-तत्व है। पृथ्वी पर आठ अरब लोग हैं, इसलिए शांति स्थापित करने की कोशिश करने के भी 8 अरब तरीके हैं और हमें उनका सम्मान करना चाहिए।

प्र. - आपकी बात से मुझे वह कथन समझने में मदद मिलती है कि शांति कोई आशा नहीं है, बल्कि यह एक अधिकार है।

जी हाँ, अपने जीवन में सामंजस्य लाना हमारा अधिकार है। हम हृदय से शुरू करते हैं और वहीं से बाहर की ओर बढ़ते हैं। इसके भौतिक, आध्यात्मिक, भावनात्मक और बौद्धिक कारण हैं लेकिन इसकी शुरुआत हृदय से ही होती है। और यही कारण है कि हार्टफुलनेस के केंद्र मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। हृदय ही सार-तत्व है।

प्र. - जब मैंने आपकी पुस्तक ‘द फ़िज़िक्स ऑफ़ स्पिरिट’ (आत्मा की भौतिकता) पढ़ी, तब मुझे आपके कार्य में आध्यात्मिक प्रभावों का एहसास हुआ। मुझे यह हार्टफुलनेस के बहुत उन्नत स्वरूप की तरह लगा और मैं इससे बहुत प्रभावित हुई।

धन्यवाद। ‘द फ़िज़िक्स ऑफ़ स्पिरिट’ मेरी जिज्ञासा का ही एक हिस्सा है। विज्ञान और भौतिकी की पुरानी धारणा के अनुसार हमारे छोटे से ब्रह्मांड में पदार्थ और अंतःशक्ति के बीच द्विभाजन और तनाव है। लेकिन भौतिकी का हर नियम हमसे कहता है कि यह सच नहीं है - द्विभाजन जैसा कुछ नहीं है।

तो भौतिक जगत और आध्यात्मिक जगत में ऐसी कौन सी चीज़ है जो परस्पर गुंथी हुई है? मैं भौतिकविद नहीं हूँ लेकिन भौतिकी ने मुझे यह समझने में सहायता की कि पदार्थ व अंतःशक्ति और पदार्थ व प्रकाश परस्पर परिवर्तनीय हैं। मनुष्य होने के नाते हमारे पास हृदय-आत्मा है जो प्रकाश अंदर ले आती है और उसे भौतिक चीज़ों और रिश्तों में बदल देती है। इसलिए मैं मानता हूँ कि आत्मा एक पात्र है जो अंतःशक्ति को धारण करती है। आत्मा हमारे अंदर एक विकसित अस्तित्व है जो दूसरे लोगों से, सूर्य से और दिन-प्रतिदिन के कार्य से प्रकाश को अंदर ले आती है। यह प्रेम को अंदर लाती है और प्रेम को बाहर प्रसारित करती है। यह एक पात्र है जो हमें ऐसी कार्यविधि प्रदान करता है जिससे हम प्रेम को महसूस करते हैं और प्रेम देते हैं।


जी हाँअपने जीवन में सामंजस्य लाना हमारा अधिकार है। हम हृदय से शुरू करते हैं और वहीं से बाहर की ओर बढ़ते हैं। इसके भौतिकआध्यात्मिकभावनात्मक और बौद्धिक कारण हैं लेकिन इसकी शुरुआत हृदय से ही होती है। और यही कारण है कि हार्टफुलनेस के केंद्र मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। हृदय ही सार-तत्व है।


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प्र. - हम लोग हर रात नौ बजे शांति के लिए एक संकल्प लेते हैं। इसे हम उन सभी लोगों के साथ मिलकर करते हैं जो दूरस्थ हैं। संकल्प यह है - “हमारा हृदय और सभी लोगों के हृदय प्रकाश और प्रेम से भरे हुए हैं। सभी लोग प्रसन्नता से दीप्तिमान हों। और पूरी पृथ्वी शांति से भर जाए।

जब मैंने आपकी पुस्तक पढ़ी तो यह मुझे बहुत दिलचस्प लगा कि आपने प्रकाश और प्रेम को आत्मा से संबंधित बताया है क्योंकि वास्तव में यही आधार है।

हार्टफुलनेस ध्यान में हम पहली चीज़ लोगों को यही सिखाते हैं कि वे अपना ध्यान हृदय पर लाएँ और दिव्य प्रकाश की उपस्थिति को महसूस करेंजो कि स्रोत है और उन्हें अंदर से आकर्षित कर रहा है। आपने अपनी किताब में लिखा है, अंतःशक्ति भी पदार्थ नहीं है। धर्मशास्त्र में अंतःशक्ति को अमूर्त, अभौतिक या अलौकिक कहा गया है। अंतःशक्ति का वर्णन प्रायः प्रकाश के परिप्रेक्ष्य में किया जाता है। जैसे बाइबिल में जॉन के गॉस्पेल में ईश्वर को प्रकाश कहा गया है। हिंदू धर्म के अनुसार दीपावली प्रकाश का पर्व है। इस्लाम में ‘अयाह-अन-नूर’ है अर्थात अल्लाह स्वर्ग और धरती का प्रकाश है।

पुस्तक के इस भाग ने मुझे सचमुच प्रभावित किया - “अंतःशक्ति प्रकाश के कम से कम दो गुणों के अनुरूप है। इसका कोई घन नहीं है जिसे मापा जा सके और धर्म शास्त्रों के अनुसार यह समस्त ब्रह्मांड में एक भारहीन सर्वव्यापी सामर्थ्य के क्षेत्र के रूप में व्याप्त है। अंतःशक्ति ऊर्जा का एक रूप हैहालाँकि यह रहस्यमय है और इसे बहुत कम समझा गया है। जैसा कि सभी रहस्यों के साथ होता है, इसका रहस्य प्रकट हो जाने पर, चाहे जीवन में हो या मृत्यु मेंआध्यात्मिक ऊर्जा का समावेश भौतिकी के विस्तारित होते नियमों के अंतर्गत ज़रूर शामिल कर लिया जाएगा।” आपकी पुस्तक पढ़ने के बाद मेरा प्रश्न यह है कि आपको क्या लगता है, विश्व शांति का समाधान वैज्ञानिक है या आध्यात्मिक?

चूँकि मेरा मानना है कि पदार्थ और प्रकाश सार रूप में एक समान हैं, मैं यही कहूँगा कि सभी मार्ग अंततः शांति की ओर ही ले जाते हैं। हम चर्च जाएँ, सिनेगॉग (यहूदी उपासना स्थल) जाएँ या खेल के अखाड़े में जाएँ; चाहे हम किसी अस्पताल में एक नर्स हों, हम जो भी करते हों वह हमारा अपना तरीका है। जो हमारे भीतर है वह हमारे सभी कामों के साथ विनिमय करता है और ब्रह्मांड के साथ एक संबंध स्थापित करता है जिससे हम हर दिन शांति स्थापित करने की कोशिश कर सकते हैं।

ज़्यादातर लोग यह नहीं जानते कि मैं आध्यात्मिक स्वभाव का हूँ और इसका कारण यह है कि मैं अपने जीवन के कार्यों में व्यस्त रहता हूँ - एक संस्था का निर्माण करना ताकि लोगों को इतना सशक्त किया जा सके जिससे वे अपने अंदर और अपने समुदाय में शांतिपूर्ण दशा प्राप्त कर सकें।


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प्र. - आपके व्यक्तित्व के इस पहलू के बारे में मैं तब तक नहीं जानती थी जब तक मैंने आपकी पुस्तक ‘द फ़िज़िक्स ऑफ़ स्पिरिट’ नहीं पढ़ी। यह सिर्फ़ ग्यारह पन्नों की है लेकिन आपने इतने कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया है।

मैं ‘इंटेंशन फ़ॉर पीस’ (शांति का संकल्प) दल का हिस्सा हूँ। महामारी के दौरान हमने इंटरनेट के द्वारा एक अप्रत्यक्ष मंच तैयार किया था ताकि हम परस्पर जुड़े रहें। यह महामारी के बाद भी सोमवार से लेकर शुक्रवार तक जारी रहा। उसके बाद हमने ‘डेटन इंटरनेशनल पीस म्यूज़ियम’ के साथ उनके द्वारा प्रायोजित 64 दिवसीय संकल्प कार्यक्रम में भी भागीदारी की। इस पहल को ‘अ सीज़न ऑफ़ नॉन-वायलेंस’ (अहिंसा का मौसम) शीर्षक दिया गया था। हमारे संयुक्त प्रयास 30 जनवरी से 4 अप्रैल 2024 तक जारी रहे। ये तिथियाँ महात्मा गाँधी और श्रद्धेय मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या की स्मारक बरसी के दिन के साथ मेल खाती हैं। बहुत सारे लोग उस समय ‘इंटेंशन फ़ॉर पीस’ के लिए हमारे साथ जुड़े। उसके बाद हमने इसे हर रात जारी रखा। ऐसा लगता है कि आत्मा के भौतिक विज्ञान की योजना आपसेमुझसेशांतिमय नगरों, हार्टफुलनेस या डेटन के शांति संग्रहालय से कहीं बड़ी है। यह मेरे लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था। मैंने अपने भीतर एक बदलाव महसूस किया और अब मैं वास्तव में निश्चिंत हो सकती हूँ।

यह बिलकुल सच है। और मुझे लगता है कि यह हमें आपके पहले प्रश्न पर ले जाता है - तूफ़ानों के बीच मैं अपनी शांति कैसे बरकरार रख पाता हूँ। मैं युद्ध-ग्रस्त क्षेत्रों में काम करता हूँ और मैं ऐसी चीज़ें देखता हूँ जिन्हें बयान नहीं किया जा सकता। यह सब मुझे संग्रहालय के प्रयोजन, मेरी पुस्तकों के प्रयोजन और मेरे हृदय के प्रयोजन की ओर वापस ले जाता है। ‘इंटरनेशनल सिटीज़ ऑफ़ पीस’ में हम एक आशय-पत्र के साथ शुरुआत करते हैं। इरादे से ही सभी चीज़ें साकार होती हैं। यही कारण है कि हम केंद्र में अपना समूह छोटा रखेंगे तथा आने वाले सालों में 1000 या अधिक शहरों में विस्तार करेंगे। हम लोगों को वही करने दे रहे हैं जो वे पहले से करना चाहते हैं। हम यहाँ-वहाँ थोड़ी मदद करेंगे लेकिन वास्तव में, ये दल और समुदाय ही हैं जो काम करते हैं।

हमारा लक्ष्य विश्व शांति स्थापित करना है। मैं यह काम इसलिए नहीं कर रहा हूँ कि मुझे दिन में कोई न कोई तो काम करना ही है। मैं यह काम इसलिए कर रहा हूँ कि विश्व शांति स्थापित हो। इसलिए मैं प्रतिदिन अपने इरादे को मान देता हूँ। मुझे इस पर विश्वास है और मैं मानता हूँ कि अगर हम ऐसा आधारभूत ढाँचा बना सकें जो हमारे इरादों की शुरुआत समुदाय से करके फिर पूरे क्षेत्र में, राष्ट्र में और उसके बाद समस्त संसार में इसे आगे बढ़ा सके तो हम विश्व शांति स्थापित करने का यह लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।

हमारे पास आधारभूत सुविधाएँ होनी चाहिए जो इसका भौतिक पक्ष है। इसीलिए ‘शांति के शहर’ लोगों के लिए हैं, चाहे क्लीवलैंड हो, बीवरक्रीक या हमारा 413वाँ शहर मलावी का चाइवेयर हो। यह अद्भुत है कि उन्होंने अपने समुदाय के लिए एक सपना देखा है तथा उद्देश्य व लक्ष्य निश्चित किए हैं। हम बस उन्हें जानकारी देते हैं ताकि वे शांति का आदर्श शहर बना सकें। हर दिन मैं अपना ईमेल खोलता हूँ तो वहाँ ऐसी कहानियाँ होती हैं जो प्रेरित करती हैं और ऐसी कहानियाँ भी होती हैं जो हमें चुनौती देती हैं।

हमारा उद्देश्य है विश्व शांति के लिए बदलाव की स्थिति बनाना और इसके लिए आधारभूत सुविधाओं की ज़रूरत है। शांति के अंतर्राष्ट्रीय शहर बनाने का आदर्श हज़ारों साल पुराना है - इसे हमने नहीं बनाया है। हम बस लोगों को अपने पूर्वजों के उस आदर्श को याद करने में मदद करते हैं जो तब से विद्यमान है जब पहला गाँव बसा था। ‘शांति के शहर’ बनाने का विचार तब भी मौजूद था लेकिन हम इसे भूल गए। यह विचार आगे नहीं बढ़ पाया क्योंकि हम संसार की अराजकता में खो गए हैं। अगर हम व्यवस्थित हो जाएँ और शांत रहें तथा सोचें कि हर चीज़ अच्छी होगी क्योंकि हम प्रेम की दुनिया में हैं तो हम शांति स्थापित करने के लिए ध्यानपूर्वक और व्यवस्थित रूप से काम कर सकेंगे।

अगले अंक में जारी .....

 

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अधिक जानकारी के लिए कृपया देखें -

www.internationalcitiesofpeace.org 

and www.fredarment.com.

 


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जे. फ़्रेडरिक आर्मेंट

जे. फ़्रेडरिक आर्मेंट

फ़्रेड एक लेखक, शिक्षक तथा इंटरनेशनल सिटीज़ ऑफ़ पीस के संस्थापक व अध्यक्ष... और पढ़ें

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