अपने दिन भर का कार्य पूरा हो जाने के बाद सफ़ाई का अभ्यास करें। इसके लिए सूर्यास्त के आसपास का समय सर्वश्रेष्ठ है तथा अच्छा होगा कि सफ़ाई का समय आपके सोने के समय के बहुत करीब न हो। यह प्रक्रिया आपको तरोताज़ा करेगी और किसी भी संचित भारीपन से आपके तंत्र को शुद्ध कर देगी। इस प्रक्रिया के कुछ चरण हैं इसलिए शुरुआत में निम्नलिखित क्रम में इसका अभ्यास करना बहुत अच्छा रहेगा -

दिन के दौरान जमा हुई सभी छापों को साफ़ करने के इरादे से आरामदायक आसन में बैठे।

अपनी आँखें बंद करें और अपने शरीर को ढीला छोड़ दें।

कल्पना करें कि सभी अशुद्धियाँ और जटिलताएँ आपके पूरे तंत्र से निकल कर जा रही हैं। इन्हें अपनी पीठ (अपनी रीढ़ की सबसे निचली हड्डी) से लेकर सिर के ऊपरी भाग तक के हिस्से से धुएँ के रूप में निकलता हुआ महसूस करें।

पूरी प्रक्रिया दौरान सतर्क रहें और उठने वाले विचारों और भावों पर ध्यान न दें। अपने विचारों के साक्षी बने रहने का प्रयास करें।

आत्मविश्वास और दृढ़संकल्प के साथ इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे तेज़ करें।

यदि आपका ध्यान भटकता है और अन्य विचार मन में आते हैं तो धीरे से अपना ध्यान फिर से सफ़ाई की प्रक्रिया पर लें आएँ।

जैसे-जैसे आपकी पीठ से छापें निकलने लगेंगी आप अपने भीतर हल्कापन महसूस करने लगेंगे।

इस प्रक्रिया को बीस से पच्चीस मिनट तक जारी रखें।

जब आप भीतर से हल्कापन महसूस करने लगें तब आप इस प्रक्रिया का दूसरा भाग शुरू कर सकते हैं - 

महसूस करें कि स्रोत से आने वाली पवित्र धारा आपके शरीर में सामने की ओर से प्रवेश कर रही है। यह धारा आपके हृदय और संपूर्ण तंत्र में बहती हुई प्रत्येक कण में समा रही है।

अब आप एक अधिक संतुलित अवस्था में लौट आए हैं। आपके शरीर के प्रत्येक कण से हल्कापनपवित्रताऔर सरलता निकल रही है।

इस दृढ़विश्वास के साथ इसे समाप्त करें कि सफ़ाई की प्रक्रिया प्रभावी तरीके से पूरी हो चुकी है।


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बाबूजी

शाहजहाँपुर के श्री रामचंद्र (1899-1983), जिन्हें प्यार से बाबूजी कहा जाता था, एक क्रांतिकारी आध्यात्मिक वैज्ञानिक और दार्शनिक थे। वे वर्त... और पढ़ें

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