क्रेस्टन की एक महिला ने हाल ही में भुगतान करने की (check out) लाइन में हुए अपने अनुभव को याद किया। उसके पीछे दो युवाओं के पास कुछ सामान थे, इसलिए उसने उन्हें आगे जाने का इशारा किया। जब वह भुगतान करने के लिए आगे आई तो कैशियर ने कहा कि उसका कुछ भी बकाया नहीं है। दोनों युवाओं ने उसका बिल चुका दिया था। उनकी दयालुता के लिए अभिभूत और आभारी होकर उसने किसी दूसरे के लिए उसी उदारता को दोहराने का संकल्प लिया। उसकी कहानी सुनने वाले एक दोस्त ने भी ऐसा ही करने का वादा किया। कृतज्ञता प्रेरित करती है और अपने जैसा और अधिक उत्पन्न करती है। जीवविज्ञानी रॉबिन वॉल किमरर कहते हैं, “अगर हमारी पहली प्रतिक्रिया कृतज्ञता है तो हमारी दूसरी प्रतिक्रिया पारस्परिकता यानी बदले में उपहार देना है।”
पिछली शरद ऋतु में दक्षिणी अल्बर्टा की एक रोमांचक यात्रा से लौटते हुए मैंने उन दिनों हुए मनोहर और विविध अनुभवों के लिए बहुत आभार महसूस किया। उनके बहुमूल्य उपहार से मैं हमारी पृथ्वी की देखभाल करने, इस भूमि की सेवा और सम्मान करने के अपने प्रयास को बढ़ाने पर पुनः ध्यान देने लगी।
यशोधरा आश्रम में एक शाम के सतसंग में भाग लेते समय मानव जन्म रूपी उपहार के लिए आभारी महसूस करने का सुझाव दिया गया था। हालाँकि मुझे पहले समझ में नहीं आया था कि इसमें कृतज्ञता महसूस करने वाली क्या बात है, लेकिन मैंने इसे महसूस किया। अचानक मुझे यह समझ आने लगा कि मानव जन्म के साथ मेरे पास अपनी पसंद के अनुरूप चयन का उपहार है, सचेत रूप से विकसित होने का अवसर है और इस तरह उपयोगी होने, योगदान करने और सेवा प्रदान करने का अवसर है।
कभी-कभी जो कुछ भी होता है, उसके लिए आभारी होने के लिए मुझे सलाह मिलती है। यह बात मुझे अभी तक समझ में नहीं आई है। इतनी पीड़ा, क्षति, बीमारी, मृत्यु - मैं उन लोगों के लिए बुरा महसूस करती हूँ जो इसका अनुभव करते हैं। मैं इसके लिए कैसे आभारी महसूस कर सकती हूँ? लेकिन मैं जो बात समझती हूँ, वह यह है कि इन घटनाओं को देखकर यह याद रखना चाहिए कि दर्द, हानि और निराशा जीवन का हिस्सा हैं, भले ही वे हमें कहीं से भी मिलें। इसे याद रखने से सवाल उठते हैं - तो फिर क्या महत्वपूर्ण है? एक व्यक्ति कैसे जीवन जीता है? मेरी अपनी मृत्यु आएगी लेकिन इसका समय अज्ञात है। ऐसा ही सभी प्राणियों के लिए होगा। मुझे दया, करुणा प्रदान करना याद रह सकता है। मुझे अपनी दुनिया में बढ़ते दर्द और पीड़ा के लिए कोई कृतज्ञता महसूस नहीं होती। लेकिन मैं इन अवसरों का उपयोग प्रार्थना भेजने के लिए कर सकती हूँ, चाहे वह किसी भी रूप में हो - शब्द, हार्दिक भावनाएँ, प्रकाश - और जीवन रूपी इस उपहार की अमूल्यता, इसकी नश्वरता, कोमलता, अनिश्चितता को याद रख सकती हूँ। प्राचीन भारत के ईशा उपनिषद से यह उपदेश मिलता है - हे मेरी आत्मा, पिछले प्रयासों को याद रखो। याद रखो।
कृतज्ञता उपहार लाती है। शायद इस समझ ने ही मेस्टर एकहार्ट के शब्दों को प्रेरित किया, “यदि आप अपने पूरे जीवन में केवल धन्यवाद देने के लिए प्रार्थना करते हैं तो यही पर्याप्त होगा।”
कृतज्ञता उपहार लाती है। शायद इस समझ ने ही मेस्टर एकहार्ट के शब्दों को प्रेरित किया, ““यदि आप अपने पूरे जीवन में केवल धन्यवाद देने के लिए प्रार्थना करते हैं तो यही पर्याप्त होगा।”

