दाजी विराम लेने की कला की सराहना करते हुए बताते हैं कि जीवन के सभी क्षेत्रों में समाधान पाने के लिए यह कितना आवश्यक हो सकता है।

 

विगत वर्षों में मैंने एक आदत विकसित की है जिसने बेहतर निर्णय लेने में मेरा मार्गदर्शन किया है। चाहे मुझे यह तय करना हो कि अगला आश्रम कहाँ बनाना चाहिए, अपनी यात्रा की योजना बनानी हो, नई पुस्तक के लिए शीर्षक चुनना हो या अपने सुडोकू के खेल में अगले अंक पर विचार करना हो, मैंने पाया है कि निर्णय लेने से पूर्व कुछ समय के लिए विराम लेना बहुत लाभकारी होता है। और अगले दिन मैं कहीं अधिक तेज़ी से व अधिक आत्मविश्वास के साथ निर्णय ले पाता हूँ। निर्णय लेने से पहले थोड़ा विराम लेने से अक्सर ऐसी संभावनाएँ प्रकट होती हैं जिन पर मैंने पहले गौर नहीं किया था।

जब मैंने यह पढ़ा कि मशीनों की दुनिया में भी विराम का ज्ञान मायने रखता है तब मुझे लगा मानो इस विचार को पुष्टि मिल गई हो। एक सहयोगी ने मुझे गूगल से एक शोध पत्र निकालकर दिया जिसका शीर्षक था, “बोलने से पहले सोचिए (Think Before You Speak)”। उसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के संबंध में नई तकनीक के बारे में बताया गया था। शोधकर्ताओं ने उसमें ए.आई. के भाषा मॉडल में सीखे जा सकने वाले विराम संकेत (learnable pause tokens) शामिल करने की बात कही थी। इन संकेतों को शामिल करने से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI ) को प्रतिक्रिया देने से पहले विचार करने के लिए अधिक समय (विराम) मिला। जब इसका परीक्षण तर्क और प्रश्नोत्तर की कसौटी पर किया गया तब पता चला कि निष्कर्ष पर पहुँचने में थोड़ी देरी करने से लगभग 18% लाभ हुआ।

यह आश्चर्यजनक रूप से याद दिलाता है कि यदि विराम से कृत्रिम बुद्धिमत्ता को भी लाभ होता है तो कल्पना कीजिए कि प्राकृतिक बुद्धिमत्ता को इससे कितना अधिक लाभ होगा। आखिर विवेक का अर्थ सिर्फ़ ज्ञान ही नहीं है – यह ऐसा ज्ञान है जो धैर्य, विनम्रता और जागरूकता की सहायता से विवेक में रूपांतरित होता है। विराम इस रूपांतरण का एक आवश्यक तत्व है।

मैंने समय-समय पर यह अनुभव किया है कि विराम लेने से स्पष्टता आती है। इस दुनिया में अक्सर सक्रियता को गलती से प्रगति मान लिया जाता है। ऐसे में विराम लेने का विचार सहज ज्ञान के विपरीत लग सकता है। लेकिन प्रकृति के प्रमाण अलग ही हैं। मनुष्य का हृदय एक लय में धड़कता है। यहाँ तक कि सिनैप्टिक संचरण (synaptic transmissions), जो तंत्रिकाओं के मध्य तेज़ी से होने वाले संचार हैं, में भी मिली सेकंडों की देरी होने से लाभ होता है जिससे तंत्रिका-तंत्र को अधिक समझदारी से प्रतिक्रिया करने में मदद मिलती है न कि अधिक तेज़ी से। बीमारी के समय औषधियाँ सबसे अच्छी तरह तभी काम करती हैं जब उन्हें कुछ समय के अंतराल पर ग्रहण किया जाता है। ऐसा करने से औषधियाँ ज़्यादा असरदार होती हैं और शरीर को ठीक होने का समय मिलता है। विराम का अर्थ देरी नहीं है। यह तो जीवन को पोषित करने वाली प्रक्रिया का हिस्सा है।

 

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हमारे अपने जीवन में भी यही सत्य लागू होता है। विराम एकीकरण का पल होता है जिसमें गहन अंतर्ज्ञान आधारित विवेक हमारा मार्गदर्शन करता है। विवाद के क्षणों में विराम लेने से हम तत्काल प्रतिक्रिया न देकर एक संवेदनशील हृदय से प्रत्युत्तर देते हैं। इससे हमारे भीतर के सकारात्मक पक्ष को अभिव्यक्त होने का अवसर मिलता है। उदाहरण के लिए, जब कोई आपको आहत करने वाली बात कहता है तो वाद-विवाद को बढ़ाने या मज़ाक से सामने वाले को निरुत्तर कर देने के बीच सिर्फ़ एक गहरी साँस लेना ही पर्याप्त हो सकता है।

कार्यस्थल पर भी विराम स्पष्टता लाने में मदद करता है। हम सभी का यह अनुभव रहा है कि कई बार किसी समस्या से घंटों तक जूझने के बाद हम काम बंद करके कुछ समय के लिए उससे दूर हट जाते हैं और फिर जब हम टहल रहे होते हैं या कपड़ों की तह लगा रहे होते हैं तब हमें अचानक उस समस्या का समाधान मिल जाता है। अंतर्ज्ञान को सतह पर उभरने के लिए जगह यानी शांत मन चाहिए। यही कारण है कि ध्यान की मेरी परिभाषा है, “यह शांत चित्त के साथ विराम लेने की कला है” - यानी सोचने, मूल्यांकन करने और प्रयास करने से कुछ समय के लिए पीछे हटना। इस पवित्र शांति में ही हम अपनी गहन बुद्धिमत्ता को पुनः प्राप्त करते हैं।

जब ट्रैफ़िक में कोई तेज़ी से आपके सामने आ जाता है या सहकर्मी कुछ ऐसा कहता है जो आपको विचलित कर देता है तब थोड़ा रुकें। कुछ सेकंड का विराम भी आपको विचलित मनःस्थिति के बजाय शांति से प्रतिक्रिया करने में मदद करेगा। इसके बाद भी शायद आपको अपना पक्ष मज़बूती से रखने की ज़रूरत पड़े लेकिन तब आपके शब्द क्रोध की बजाय स्पष्टता से निकलेंगे।

यदि आप किसी रचनात्मक दुविधा में फँस गए हैं या निर्णय नहीं ले पा रहे हैं तो अपने आप को उससे अलग करके विराम लें। अपने अवचेतन मन को शांति से उसका कार्य करने दें। समाधान अकसर साधारण पलों में प्रकट होते हैं - जैसे जूते के फीते बाँधते हुए, बर्तन धोते हुए या कुत्ते को टहलाते हुए।

भोजन करने से पहले, किसी मीटिंग से पहले या सोने जाने से ठीक पहले कुछ समय के लिए अपनी श्वास या हृदय पर ध्यान दें। ये संक्षिप्त विराम आपको अपने आपसे गहनता से जुड़ने में मदद करेंगे।

और अगर आपने पहले कभी विराम लेने की कोशिश की है और आपको यह मुश्किल लगा तो यह समझ लें कि ऐसा अनुभव करने वाले आप अकेले नहीं हैं। किसी भी महत्वपूर्ण आदत को विकसित करने की तरह विराम लेने की कला को विकसित करने में भी समय लगता है। कभी-कभार आप इसे करना भूल सकते हैं या कभी आप विराम तो लेते हैं पर तब तक देर हो चुकी होती है। लेकिन विराम लेने का संकल्प भी हममें महत्वपूर्ण सुधार लाता है। समय के साथ यह आपके स्वभाव का हिस्सा बन जाता है, उसी तरह जैसे माँसपेशियाँ बार-बार उपयोग करने से मज़बूत बनती जाती हैं।

तो आज आप इसे अपने लिए एक विनम्र स्मरण समझें - अगली कार्रवाई करने की जल्दबाज़ी न करें। थोड़ा विराम लें। अपनी वास्तविकता के साथ जुड़ें। उस शांतिपूर्ण स्थिरता में आपको ज्ञान अवश्य मिलेगा।


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दाजी

दाजी हार्टफुलनेसके मार्गदर्शक

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