इच्छा भान एक काउंसलर और लाइफ़ कोच हैं जिनकी दिलचस्पी सकारात्मक बदलाव, दृढ़ता और परिवर्तन लाने में है। लोगों को उनके वास्तविक स्व से जोड़ने और उनकी क्षमता को उजागर करने में मदद करके, वे उन्हें खुशहाल जीवन की यात्रा पर सशक्त और प्रेरित करना चाहती हैं।

हमारे अच्छे स्वास्थ्य में सकारात्मक भावनाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनसे हमें बहुत लाभ मिलते हैं। जीव-विज्ञान के नज़रिए से देखा जाए तो ये भावनाएँ डोपामाइन और ऑक्सीटोसिन जैसे तंत्रिका संचारकों (neurotransmitters) को सक्रिय करती हैं जिससे हम अच्छा महसूस करते हैं और हमारे भीतर का विघटन कम हो जाता है। परिणामस्वरूप हमारे निर्णयों में दखल देने वाले विचार कम आते हैं। सकारात्मकता के बढ़ने से हमें विभिन्न परिस्थितियों को समझने और उनसे मूल्यवान सबक लेने के लिए एक आदर्श वातावरण मिलता है।

इसके अलावा, ये भावनाएँ भविष्य के लिए आशावादी दृष्टिकोण विकसित करती हैं, हमें याद दिलाती हैं कि परिवर्तन निरंतर होता है और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सकारात्मकता पाई जा सकती है। यह सकारात्मक प्रतिक्रिया चक्र (फ़ीडबैक लूप) हमारे समग्र कल्याण की भावना को बढ़ाता है और हमारे जीवन को और अधिक सार्थक बनाता है। इससे हमें चुनौतीपूर्ण क्षणों में उम्मीद की किरण खोजने में मदद मिलती है।

सकारात्मक भावनाओं के होने से हम सही फैसले लेते हैं, नकारात्मक भावनाओं पर शांति से प्रतिक्रिया देते हैं और सामाजिक जुड़ाव व कठिनाइयों को सहने की अपनी क्षमता बढ़ाते हैं। अंततः, इससे भावनाओं को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने की हमारी क्षमता बढ़ती है और हमें जीवन के उतार-चढ़ावों का सामना करने के लिए मूल्यवान तरीके मिलते हैं।

इस बात पर ध्यान दें - जब आप खुश होते हैं या जब जीवन आराम से चल रहा होता है तब आपका आत्मविश्वास बढ़ जाता है और आपकी भावनाओं में स्थिरता होती है। ऐसे में यदि कुछ गलत हो भी जाता है तो हम उससे बहुत जल्द उबर जाते हैं। संभवतः आप उसका सामना बेहतर ढंग से करते हैं और पाते हैं कि उसका आप पर कुछ ज़्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। इसके विपरीत, जब आपको जीवन चुनौतीपूर्ण लगता है या आप पहले से ही मुश्किलों का सामना कर रहे होते हैं तब किसी बुरे प्रसंग से उबरना और भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यह मानना मुश्किल हो जाता है कि परिणाम सकारात्मक होगा और आपकी दृढ़ता कम हो जाती है।

सकारात्मक आंतरिक वातावरण बनाने और दृढ़ता विकसित करने के 3 आसान तरीके

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स्मृति कलश

अपना निजी स्मृति पात्र बनाएँ 

सामग्री - एक जार, रंगीन स्टिकी नोट और कलम। 

हर दिन, जब भी आप खुश या संतुष्ट महसूस करें, स्टिकी नोट पर उन कारणों को लिखें जिनसे आपको वह खुशी मिली और आपके चेहरे पर मुस्कान आई और फिर उसे मोड़कर जार में डालें।

 जब कभी आपका मन उदास हो या आप मन को जल्दी से खुश कर सकते हों तब जार से कुछ नोट निकालकर पढ़ें। आप देखेंगे कि आप पुनः मुस्कुरा रहे हैं, चाहे थोड़ी देर के लिए ही सही। अपनी मनोदशा को जल्दी बदलने और खुश होने का यह एक असरदार तरीका है।

दृश्य डायरी

खुशनुमा पलों को याद करें

सामग्री - कैमरा या फ़ोन कैमरा

उन प्यारे पलों पर ध्यान दें जो आपके चेहरे पर मुस्कान लाते हैं, आपको सुकून देते हैं या हँसाते हैं। जब भी आपको ऐसे सकारात्मक अनुभव हों तब तुरंत फ़ोटो लेकर उस पल को कैद कर लें। भले ही ये तस्वीरें दूसरों के लिए उतना महत्व न रखें लेकिन उन्हें फिर से देखने से आपकी प्यारी यादें ताज़ा हो जाएँगी जिससे आप खुशी से भर जाएँगे।

तस्वीरें इस बात का भी स्पष्ट प्रमाण हैं कि हर दिन छोटे-छोटे, लगभग अकथनीय सुंदर क्षणों से सजा होता है और प्रत्येक का आपके जीवन से गहरा व्यक्तिगत और सार्थक संबंध होता है।

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इंद्रियों से प्राप्त जानकारी 

यह काउंसलर एवं प्रशिक्षकों द्वारा पारित एक तकनीक है। जब आप निराश हों या आपका आत्मविश्वास कम हो तब यह विशेष रूप से सहायक होती है। 

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सामग्री - डायरी और कलम।

चरण 1 - याद करें और कल्पना करें

अपने जीवन का वह पल याद करें जब आप बहुत खुश और आत्मविश्वास से भरे थे। ज़रूरत पड़ने पर उस भावना या मन की अवस्था पर केंद्रित हों जिसे आप पुनर्निर्मित करना चाहते हैं।

कुछ समय के लिए उस पल की स्पष्ट रूप से कल्पना करें और उस अनुभव में पूर्णतया डूब जाएँ। 

चरण 2 - अपने अनुभव को लिखें

अपनी इंद्रियों का उपयोग करके अपनी डायरी में उस दृश्य को वर्णित करें – 

  • इस समय आपको क्या दिखाई दे रहा है? 
  • आपको क्या सुनाई दे रहा है? 
  • आप क्या छू रहे हैं और वह कैसा लग रहा है? 
  • क्या इस याद से जुड़ी कोई खास खुशबू है?

अब बारीक जानकारियों पर ध्यान दें –

  • अपने अनुभव को याद करते हुए उस विशिष्ट भावना को पहचानें जिसे आप महसूस कर रहे थे।
  • प्रत्यक्ष सबूतों पर गौर करते हुए लिखें कि आपको कैसे पता कि आप वैसा महसूस कर रहे थे।
  • उस समय आपके अपने मन में चल रहे विचारों को समझें।
  • सोचें कि इन विचारों ने आपके व्यवहार को कैसे प्रभावित किया।
  • इस याद के दौरान अपने व्यवहार का आंकलन करें और उन संकेतों को पहचानें जिनसे आपको पता चला कि आपको 
    अच्छा लग रहा था।

चरण 3 - सशक्त बनाने वाली भावनाओं से पुनः जुड़ें –

अपनी डायरी में इन सवालों का जवाब लिखते समय ध्यान दें कि क्या उस याद के दौरान अनुभव होने वाले एहसास, भावनाएँ और विचार पुनर्जागृत हो रहे हैं। यह ध्यानमग्नता आपको उस अनुभव के और करीब ले जाने के लिए है।

यह समझें कि अतीत की उपलब्धियों व अच्छे अनुभवों को याद करने से आपको अपनी क्षमताओं का प्रमाण मिलता है, भले ही आज आपको खुद पर संदेह हो रहा हो। इससे पता चलता है कि आप जो आज सोचते हैं उससे कहीं ज़्यादा करने की क्षमता आपके पास है। 

इस संरचित तकनीक से आप अच्छी यादों की ताकत को प्राप्त कर सकते हैं जिससे आपका आत्म-विश्वास बढ़ता है और मनोदशा अच्छी हो जाती है और आपको अपनी आंतरिक शक्ति व सामर्थ्य का प्रत्यक्ष प्रमाण मिल जाता है।


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इच्छा भान

इच्छा भान एक परामर्शदाता और लाइफ़ कोच हैं जिनकी दिलचस्पी मानसिक और भावनात्मक कल्याण प्रशिक्षण के माध्यम से सकारात्मक बदलाव, दृढ़ता और परिवर्तन लाने में है। वे लोगों को खुशहाल जीवन की... और पढ़ें

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