विक्टर कन्नन इस विषय पर चर्चा करते हैं कि क्या कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में चेतना है। वे इस विवाद को आसानी से हल करने के लिए एक बहुत ही दमदार तर्क प्रस्तुत करते हैं।
इस बात पर विवाद बढ़ रहा है कि क्या कृत्रिम बुद्धिमत्ता में चेतना है।
मुझे इस सवाल पर हँसी आती है। जिस गंभीरता से हम इस सवाल पर बहस करते हैं, वह अनुपयुक्त लगता है। हम यह नहीं पूछ रहे हैं कि क्या एक बुद्धिमान व्यक्ति चेतना से रहित है। अगर हम यह नहीं पूछ रहे हैं तो फिर हम यह क्यों पूछ रहे हैं कि क्या कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा संचालित कार्यक्रमों में मानव चेतना जैसी चेतना है या नहीं।
हमें अपने सहज ज्ञान से समझ में आ गया है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्या है और चेतना क्या है। चूँकि जेमिनी या चैट GPT को दिए हमारे संकेतों से हमें जो प्रतिक्रियाएँ मिलती हैं वे व्यक्तिगत और प्रासंगिक लगती हैं, इसलिए हमें आश्चर्य होता है और हमारे मन में यह सवाल उठता है कि क्या कृत्रिम बुद्धिमत्ता सचेत है।

बुद्धिमत्ता क्या है?
ऑक्सर्फ़ोर्ड शब्दकोष के अनुसार ज्ञान और कौशल प्राप्त करने और जीवन में उनका उपयोग करने की क्षमता ‘बुद्धिमत्ता’ है। इसी को जब कंप्यूटर को प्रोग्राम करके किया जाता है तो वह कृत्रिम बुद्धिमत्ता होती है। प्राकृतिक बुद्धिमत्ता जन्मजात होती है, जैसी पौधों, जानवरों व मनुष्यों जैसे प्राणियों में पाई जाती है। वे परिस्थितियों का प्रत्युत्तर देने में अपनी जन्मजात बुद्धि का उपयोग करते हैं। इसके विपरीत, कृत्रिम बुद्धिमत्ता में जवाब देने के लिए मशीनों को प्रोग्राम किया जाता है।
यह पूछना एक अलग चर्चा का विषय है कि क्या हम अपनी पिछली यादों और वर्तमान सामाजिक-आर्थिक स्थितियों से प्रोग्राम या प्रभावित नहीं हैं। यह हमें व्यवहार विज्ञान और मनोविज्ञान की ओर ले जाता है। लेकिन आइए, हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता में चेतना होने के इस सवाल पर केंद्रित रहें।
चेतना क्या है?
केम्ब्रिज शब्दकोष के अनुसार, ‘चेतना’ जागने, सोचने और अपने आस-पास क्या हो रहा है, यह जानने की अवस्था है। चेतना जागरूकता और अनभिज्ञता, सोचने और न सोचने, जानने और न जानने का स्तर है। लेकिन यह परिभाषा चेतना की नींद और स्वप्न अवस्थाओं को बयान नहीं करती।
सोते हुए कृत्रिम बुद्धिमत्ता क्या करती है?
हम कह सकते हैं कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता अपने पिछले संवाद के आधार पर ‘सोते हुए’ सीख रही है। यह यांत्रिक रूप से सीखना है। हम कह सकते हैं कि यह ठीक उसी तरह है जैसे सोते समय किसी व्यक्ति का मस्तिष्क काम करता है। जिस तरह मस्तिष्क दिनभर में प्राप्त जानकारी को समेकित और संग्रहीत करता है उसी तरह कृत्रिम बुद्धिमत्ता की मशीनें भविष्य में उपयोग के लिए बातचीत की अवधि के दौरान प्राप्त ज्ञान को लगातार अनुक्रमित करती रहती हैं। यह एक मान्य तर्क लगता है।

पुनरावृत्ति और रचनात्मकता
दोनों में मूलभूत अंतर मशीन की पुनरावृत्ति बनाम सहज चेतना की रचनात्मकता है। हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता से एक ही सवाल बार-बार पूछ सकते हैं और यह थोड़े अलग उत्तर देती रहेगी। इसलिए, हम दावा कर सकते हैं कि यह रचनात्मक या कल्पनाशील है। गेमिंग डिवाइस में यादृच्छिक संख्याजनक (random number generator) अप्रत्याशित परिणाम देता हुआ प्रतीत होता है। जिन लोगों को यह नियम मालूम है कि हाउस हमेशा जीतता है वे जानते हैं कि सभी परिणामों का योग हाउस के लिए लाभदायक है, न कि सभी खिलाड़ियों का योग। कई हारते हैं ताकि कुछ जीत सकें। अनुमानित परिणाम यह है कि हाउस हमेशा जीतता है, हालाँकि व्यक्तिगत परिणाम यादृच्छिक होते हैं। इस तथ्य - हाउस हमेशा जीतता है - का मतलब है कि कुल परिणाम पहले से प्रोग्राम किए गए हैं।
पूर्व-प्रोग्राम और विशिष्टता
इसी तरह, कृत्रिम बुद्धिमत्ता मशीनों में पहले से ही प्रोग्राम की गई होती है। उनके पास कृत्रिम बुद्धिमत्ता तो होती है लेकिन बुद्धिमत्ता पैदा करने के लिए चेतना नहीं होती। मशीन लर्निंग एल्गोरिदम (ऐसा कम्प्यूटर प्रोग्राम जिसमें डेटा से अपने आप सीखने की क्षमता होती है) उन्हें मूल रूप से रचनात्मक और अद्वितीय नहीं बनाते हैं, जबकि मानव चेतना ऐसा करती है। चेतना एक विशिष्ट तरीके से सोचने, प्रक्रिया करने, निर्णय लेने और कार्य करने की क्षमता का एक संयोजन है जो परिस्थितियों और अतीत में प्राप्त ज्ञान पर आधारित है। यह सब प्रोग्राम करने योग्य लगता है। लेकिन दो लोग एक-समान परिस्थितियों में पूरी तरह से अलग प्रतिक्रिया करते हैं और यह व्यवहार में विशिष्टता को उजागर करता है।
जानना और हम कैसे जानते हैं, दोनों चेतना के पहलू हैं। बुद्धिमत्ता जानने का एक साधन है और इसलिए चेतना का हिस्सा है। जानने में भावना शामिल है और भावना सोच को प्रेरित करती है। सोचने से समझ विकसित होती है और इससे चुनाव करने और निर्णय लेने में मदद मिलती है। ये सभी चेतना के पहलू हैं। अतः कृत्रिम बुद्धिमत्ता मानव चेतना का एक विस्तार है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता की अपनी कोई चेतना नहीं है और न ही उसकी अपनी चेतना होने की कोई संभावना है।
मनुष्य यांत्रिक तरीके से व्यवहार कर सकते हैं लेकिन मशीनें या यंत्र मनुष्यों की तरह व्यवहार नहीं कर सकते। इसमें भ्रम भी है और स्पष्टता भी। हम सबसे अच्छा यही कर सकते हैं कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के सीखने के पहलुओं की व्याख्या करते हुए हम कहें कि कृत्रिम चेतना मौजूद है। अगर हम इसे कृत्रिम चेतना कहें तो क्या विवाद खत्म हो जाएगा?

विक्टर कन्नन
विक्टर हार्टफुलनेस ध्यान के एक उत्साही अभ्यासी और प्रशिक्षक हैं। व्यावसायिक क्षेत्र के मुख्य वित्तीय अधिकारी के रूप में वे दैनिक कार्यों एवं उत्तरदायित्वों में ध्यान के लाभों को भी ... और पढ़ें