डॉ. इचक अडीज़ेस गौर करते हैं कि प्रेम के बारे में उनकी समझ कैसे विकसित हुई है और इस प्रश्न का उत्तर जानने की कोशिश करते हैं, “हम प्रेम कैसे विकसित कर सकते हैं?”

 

मैंकई वर्षों से इस सिद्धांत का प्रचार कर रहा हूँ कि परिवर्तन के कारण विघटन होता है, और विघटन समस्याओं के रूप में प्रकट होता है। विघटन के कारण होने वाली समस्याओं का समाधान आपसी विश्वास और सम्मान पर आधारित एकीकरण है। आपसी विश्वास सहजीवन को संभव बनाता है। हम योगदान करते हैं क्योंकि हमें भरोसा है कि दूसरे भी इस तंत्र में योगदान देंगे, इसलिए हम सभी को हमारे द्वारा किए गए योगदान से लाभ होगा। और जब आपसी सम्मान होता है तब हम एक-दूसरे की भिन्नताओं से सीखते हैं और आपसी तालमेल बनाते हैं।

विघटन के कारण होने वाली समस्याओं का एक स्थायी समाधान एकीकरण ही है जिसके लिए हमें आपसी विश्वास और सम्मान की संस्कृति का निर्माण व विकास करने की आवश्यकता है। और मेरे अनुसार, पूर्ण एकीकरण का मतलब है पूर्ण आपसी विश्वास व सम्मान और यही प्रेम है। और जैसा मेरी माँ कहा करती थी, प्रेम सभी समस्याओं का समाधान करता है। इस मामले में मैं गलत था।

विश्वास और सम्मान ऐसी प्रक्रियाएँ हैं जो हमारे मस्तिष्क से चलती हैं। मैं आपका सम्मान करता हूँ क्योंकि मैं आपसे कुछ सीख सकता हूँ और मैं आप पर भरोसा करता हूँ क्योंकि हम दोनों का हित एक ही बात में है। बढ़िया! यह अच्छा है लेकिन यह प्रेम नहीं है। प्रेम में इस बात का हिसाब नहीं लगाया जाता कि आपको किसी रिश्ते से क्या मिलता है - यानी क्या हम दोनों का हित एक ही बात में है ताकि मैं आप पर भरोसा कर सकूँ और क्या मैं आपसे सीखूँगा यदि मैं आपकी अलग सोच का सम्मान करूँ? प्रेम यौन आकर्षण और कामुकता भी नहीं है। वे शारीरिक भावनाएँ हैं। प्रेम करुणा पर आधारित है जिसमें बिना किसी लाभ की अपेक्षा के दूसरों की परवाह की जाती है।

यहूदी धर्म में, सच्चा दान प्रेम से किया जाता है। इसका मतलब है गुमनाम रहकर दान करना और बदले में किसी चीज़ की भी अपेक्षा न करना। लाभ पाने की कोई अपेक्षा न होना ही प्रेम को अन्य सभी भावनाओं और कर्मों से अलग बनाता है।

एकीकरण के तीन स्तर होते हैं। सबसे निचला स्तर प्रशासक की भूमिका के माध्यम से होता है जिसमें तंत्र के बाहर बनाए गए नियम, नीतियाँ और निर्देश उस पर लागू किए जाते हैं। यह शक्ति पर और उल्लंघन के लिए दंड देने पर आधारित है। अगला स्तर आपसी विश्वास और सम्मान पर आधारित एक जैविक एकीकरण है। इसे तंत्र के बाहर बनाकर लागू नहीं किया जाता है। यह तर्क और अपने फ़ायदे को पाने की कोशिश का परिणाम है - यानी क्या मैं आपसे सीखकर बेहतर निर्णय ले सकता हूँ और क्या हमारे हित एक ही बात में हैं ताकि मुझे आपके योगदान पर संदेह न हो? एकीकरण का उच्चतम स्तर तब होता है जब हम बिना किसी स्वार्थ के एकीकृत होते हैं। हम एकीकृत होते हैं क्योंकि हम प्रेम करने वाले व्यक्ति हैं। और यदि ईश्वर परम प्रेम है तो यदि हम एकीकरण के उच्चतम स्तर, अर्थात प्रेम, के साथ एकीकृत होते हैं, तो हम ईश्वर का ही विस्तार हैं, हम ईश्वर के ही अभिन्न अंग हैं।

हम प्रेम कैसे विकसित कर सकते हैं? हम जानते हैं कि एकीकरण के निम्नतर स्तर कैसे विकसित किए जाते हैं। दूसरी ओर प्रेम को बांधना कठिन है। प्रेम में हम दूसरे व्यक्ति की इस तरह परवाह करते हैं जैसे वे हम ही हों। एक बहुत बीमार बच्चे की कल्पना करें। मेरी सेफ़र्डिक (स्पेन के यहूदी) परंपरा में माता-पिता कहते हैं, “यो पारा ती” जिसका अर्थ है, “काश मैं तुम्हारी जगह और तुम्हारा दर्द ले पाता।” प्रेमपूर्ण संबंध मुझे फ़्रांसिस बेकन नामक एक दार्शनिक की याद दिलाते हैं, जिन्होंने कहा था कि एक अच्छा दोस्त वह होता है जो हमारी खुशी को दोगुना कर देता है और हमारे दुख या दर्द को आधा कर देता है। वे केवल परिचित व्यक्ति नहीं बल्कि प्रेमपूर्ण मित्र होते हैं।

 

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प्रेम होने पर लोग एक-दूसरे को पूरी स्वतंत्रता देते हैं जिससे दोनों में एकात्मकता होती है। प्रेम में हम मतभेद होने पर लड़ते नहीं हैं, उसके पीछे एकात्मकता होती है। मेरे एक मित्र, जो फ़िल्म बनाना सीख रहा है, ने मुझे बताया कि जब वह निर्देशक बनेगा तब वह बच्चों के लिए एक फ़िल्म बनाना चाहता है जिसकी कहानी इस प्रकार होगी - एक राज्य है जहाँ राजा की एक बेटी है जिससे वह बहुत प्यार करता है। इस राज्य में कानून के अनुसार सभी लोगों को एक मुखौटा पहनना होगा जो उनके व्यवसाय को दर्शाए। मान लीजिए, एक का मुखौटा डॉक्टर का है, दूसरे का चोर का, आदि। बेटी बहुत बीमार हो जाती है और मरने वाली होती है। वह अपने पिता को अपनी अंतिम इच्छा बताती है कि वह सभी लोगों से अपने मुखौटे उतारने के लिए कहे। अपनी बेटी से प्रेम करने के कारण वह ऐसा करने का आदेश देता है। जैसे-जैसे लोग अपने मुखौटे उतारते हैं, यह स्पष्ट हो जाता है कि चोर हो या डॉक्टर, उन सभी के चेहरे एक जैसे हैं। इससे यह संदेश मिलता है कि मूल रूप से हम सब एक ही हैं। हमारे मुखौटे हमारे अंतर को दिखाते हैं, लेकिन प्रेम से हम अपनी एकरूपता को पहचानते हैं।


एकीकरण का उच्चतम स्तर तब होता है जब हम बिना किसी स्वार्थ के एकीकृत होते हैं। हम एकीकृत होते हैं क्योंकि हम प्रेम करने वाले व्यक्ति हैं।


हार्टफुलनेस गुरु, चारीजी ने कहा है कि प्रेम एक शक्ति है। प्रेम करने लगें और जितना अधिक आप प्रेम करेंगे, उतना ही अधिक यह आपके पास होगा। बिना किसी अपेक्षा के देना शुरू करें। दूसरे शब्दों में, प्रेम विकसित करना एक अनुभवात्मक प्रक्रिया है। इसे व्याख्यानों या प्रेम कविताओं से नहीं सीखा जा सकता। प्रेम करने में ही प्रेम निहित है। प्रेम करने से आप और अधिक प्रेम करने के लिए क्यों प्रोत्साहित होते हैं, मुझे नहीं पता। आप बताइए।

बस, कुछ सोच और एहसास,

इचक अडीज़ेस

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ichak@adizes.com

https://www.ichakadizes.com/post/what-is-love-once-more

मैं कॉन्शियस कैपिटलिज़्म अभियान के अग्रणी प्रोफ़ेसर राज सिसोदिया के योगदान को सम्मान देना और उनकी सराहना करना चाहता हूँ, जिन्होंने मुझे बताया कि प्रेम आपसी विश्वास व सम्मान से कहीं अधिक है और इसमें देखभाल करना एवं करुणा शामिल है। मैं (द एंड) एक्सपीरियंस के संस्थापक टोपाज़ एडिज़ेस के योगदान को भी मान्यता देना चाहता हूँ जिन्होंने मुझे बताया कि प्रेम तब पैदा होता है जब लोग एक-दूसरे के बीच पूरी स्वतंत्रता को मान्यता देते हैं और उसे विकसित करते हैं।


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