जेसन नटिंग एक सरल तकनीक की सहायता से हमें अपनी गति को कम करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

 

ब हम हृदय से जुड़े होते हैं तब ऐसा लगता है जैसे समय धीमा हो गया है और उस स्थिरता में हर चीज़ व्यवस्थित हो जाती है।” - दाजी

ऐसे संसार में जो कभी नहीं रुकता, धीमा होने का विचार सामान्य समझ के विपरीत लग सकता है। फिर भी दैनिक जीवन की भागदौड़ में अपनी गति को धीमा करने जैसा सरल कार्य हमें अपनी वास्तविकता को एक नया स्वरूप देने और अपने गहन ‘स्व’ से जुड़ने का अप्रत्यक्ष अवसर देता है। ‘धीमा होने की तकनीक’ एक शक्तिशाली अभ्यास है जो हमें आवेश में आकर प्रतिक्रिया देने के बजाय सोच-समझ कर प्रत्युत्तर देने के लिए प्रेरित करता है जिससे हमारे लिए जीवन को अधिक केंद्रित, सुविचारित और संतोषजनक बनाने का मार्ग खुल जाता है।

उत्तेजना और प्रतिक्रिया के बीच एक अंतराल होता है। इस अंतराल में हमारी प्रत्युत्तर चुनने की क्षमता होती है। हमारे प्रत्युत्तर में ही हमारा विकास और हमारी स्वतंत्रता निहित है।” - विक्टर फ़्रैंकल (‘मैन्स सर्च फ़ॉर मीनिंग’ के लेखक, तंत्रिका वैज्ञानिक, मनोचिकित्सक तथा द्वितीय विश्वयुद्ध में हुए यहूदियों के नरसंहार से जीवित बचे हुए व्यक्ति)

धारणाओं की उत्पत्ति और उनका हमारे जीवन पर प्रभाव

जन्म लेते ही हम अपने चारों ओर की दुनिया को उन लोगों की दृष्टि से, जो हमें पालते हैं, और उस संस्कृति के माध्यम से, जिसमें हम रहते हैं, देखना शुरू कर देते हैं। जीवन के ये शुरुआती अनुभव हमारी धारणाओं को प्रभावित करते हैं जिससे संसार को देखने और बातचीत करने का हमारा तरीका निर्धारित होता है। ये धारणाएँ, जो हम विकसित करते हैं, बहुत गहराई से हमारे भीतर समाई होती हैं लेकिन हमेशा वास्तविकता को ठीक तरह से नहीं दर्शातीं। बल्कि वे अतीत के अनुभवों, सामाजिक अपेक्षाओं और अवचेतन में दबे पूर्वाग्रहों से प्रभावित होती हैं, जिन्हें संस्कार कहते हैं।

जैसे-जैसे हम जीवन में आगे बढ़ते हैं, ये धारणाएँ हमारे विचार, व्यवहार और अपेक्षाओं को प्रभावित करती हैं। हम इन धारणाओं के आधार पर अनजाने में एक अलग ही वास्तविकता बना लेते हैं जिससे हम इस बारे में कट्टर विचार बना लेते हैं कि जीवन कैसा होना चाहिए। जब हमारे संसार की वास्तविकता इन अपेक्षाओं के साथ मेल नहीं खाती तब एक अंतर्द्वंद्व या संघर्ष पैदा हो जाता है। यह हमारे जीवनरक्षा तंत्र को प्रेरित करता है जिससे वह कार्य-प्रणाली सक्रिय हो जाती है जो हमारी रक्षा के लिए बनी है।

हमारा यह जीवनरक्षा तंत्र संभावित खतरों के विरुद्ध एक स्वत: होने वाली प्रतिक्रिया है। यह बचाव और आक्रमण की आवश्यकतानुसार हमारे व्यवहार को निर्देशित करती है। यह दशा रेड ज़ोन यानी ‘खतरे का क्षेत्र’ कहलाती है। इसमें हमारा तंत्रिका तंत्र अतिसक्रिय हो जाता है, विचारों की गति तीव्र हो जाती है तथा हमारी भावनाएँ गंभीर हो जाती हैं। ऐसे में हम मूल्यांकन करने और प्रतिक्रिया करने के चक्र में फँस जाते हैं और आत्मरक्षा के लिए तात्कालिक खतरे के परे नहीं देख पाते।

धीमा होने की तकनीक की शक्ति

धीमा होने की तकनीक एक रूपांतरकारी अभ्यास है और यह इस स्वत: होने वाली प्रतिक्रिया को रोकती है। जब हम सचेत रहकर अपनी गति को धीमा करते हैं तब हम उस घटना और अपनी प्रतिक्रिया के मध्य एक अंतराल बना लेते हैं। इससे हमें अपनी प्रतिक्रियाशील दशा को अधिक विचारशील प्रत्युत्तर देने की दशा में बदलने में सहायता मिलती है। यह परिवर्तन हमें इस ‘रेड ज़ोन’ से उस ‘ग्रीन ज़ोन’ में ले जाता है जहाँ हम संसार से अधिक शांति, जागरूकता और स्पष्टता से व्यवहार कर पाते हैं।

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मूल रूप से धीमा होने की तकनीक हमारे अस्तित्व की स्थिति को बदलने से संबंधित है। यह हमें ‘घटना-मूल्यांकन-प्रतिक्रिया’ के एक चक्र से, जिसमें हम अपनी अनुकूलित धारणाओं के आधार पर घटनाओं का स्वचालित ढंग से मूल्यांकन कर प्रतिक्रिया करते हैं, ‘घटना-जागरूकता-प्रत्युत्तर’ की ओर जाने में मदद करती है जिसमें हम सोच-समझकर तय करते हैं कि वर्तमान क्षण में जो हो रहा है, उसका प्रत्युत्तर कैसे दें।

हृदय की सूक्ष्म शक्ति

हृदय केवल एक अंग नहीं है - यह हमारी भावनाओं, हमारे सार-तत्व और जीवन के गहन सत्य से हमारे जुड़ाव का केंद्र है। धीमा होने की तकनीक का अभ्यास करते समय हृदय पर केंद्रित रहने की सोचें जिससे हमारे मन में और भी गहन शांति व जुड़ाव की भावना आ जाए।

जैसे ही आप ‘धीमा’ शब्द कहते हैं, अपनी साँस को धीरे से हृदय की ओर निर्देशित करें और अपने अस्तित्व के इस केंद्र में बने रहकर धीरे-धीरे और गहरी साँस लें। कल्पना करें कि आपके हृदय की लय धीरे-धीरे धीमी हो रही है और एक आरामदायक प्रभाव पैदा कर रही है जो धीरे-धीरे आपके पूरे शरीर में फैल रहा है। साँस छोड़ते हुए कल्पना करें कि तनाव, दबाव एवं भारीपन आपके तंत्र से दूर हो रहा है और आपका हृदय आपको शांति और एकाग्रता की स्थिति की ओर ले जा रहा है।

हृदय-केंद्रित श्वसन का यह सूक्ष्म समावेश आपके धीमे होने के अभ्यास को गहन करने में मदद करता है। यह आपकी जागरूकता को न केवल मन में बल्कि हृदय में भी स्थिर करता है। इसी हृदय-केंद्रित अंतराल में, वास्तविक परिवर्तन घटित होना शुरू होता है।

 

धीमा होने के लाभ

धीमा होने की तकनीक में महारत हासिल करने से तात्कालिक औरदीर्घकालिक, दोनों ही तरह के लाभ मिलते हैं –

 

 

1. सचेतन जागरूकता

इस अभ्यास से हम अपनी जागरूकता से जुड़े रहते हैं जिससे हमें यह पहचानने में मदद मिलती है कि हम कब उत्तेजित हो जाते हैं। इस तरह हम स्वचालित प्रतिक्रियाओं को रोक पाते हैं।

2. सजग प्रतिक्रिया

आवेगपूर्ण प्रतिक्रिया करने के बजाय हम वर्तमान क्षण और अपने वास्तविक आशय के अनुरूप सोच-समझकर प्रतिक्रिया करना सीखते हैं।

3. इच्छाशक्ति

धीमा होने में इच्छाशक्ति का उपयोग होता है जिससे हमें अपने मूल्यों और लक्ष्य के अनुरूप सोच-समझकर विकल्प चुनने की शक्ति मिलती है।

4. विकास पर ध्यान केंद्रित करना

ग्रीन ज़ोन (वह मानसिक स्थिति जहाँ व्यक्ति सक्रिय, प्रेरित और सकारात्मक होता है) में जाने से हम व्यक्तिगत विकास की गति बनाए रख पाते हैं जिससे हम टाल-मटोल करने के बजाय अपनी प्रगति को बढ़ाते हैं।

5. बेहतर स्वास्थ्य

धीमा होने की तकनीक शरीर की स्वास्थ्य लाभ प्रणाली को सक्रिय करके तनाव कम करती है और हमारे कुशल-क्षेम को बढ़ाती है।

6. हृदय से जुड़ाव

धीमा होने से हमें हृदय से जुड़ने में मदद मिलती है जिससे हम अपनी रचनात्मक क्षमता और उद्देश्य की भावना से जुड़ जाते हैं।

7. व्यवहार में सच्चाई

धीमा होने का नियमित अभ्यास ‘मस्तिष्क-हृदय-हाथ’ के बीच संबंध को बेहतर बनाता है जिसे हार्टफुलनेस कहते हैं। इससे हम सच्चा जीवन जीते हैं जिसमें हमारे विचार, भावनाएँ और कर्म सामंजस्य में होते हैं।

 

धीमा होने की तकनीक का अभ्यास

धीमा होने की तकनीक की खूबसूरती इसकी सरलता और सुगमता में निहित है। इसका अभ्यास कभी भी व कहीं भी किया जा सकता है जिससे यह उन सभी के लिए एक उपयोगी साधन बन जाता है जो अपने दैनिक जीवन में अधिक सजगता लाना चाहते हैं और उसे उद्देश्यपूर्ण बनाना चाहते हैं। इस अभ्यास को अपनाने की विधि इस प्रकार है -

1. जागरूक बनें

पहला कदम यह पहचानना है कि आप कब तनावग्रस्त, व्याकुल या भावनात्मक रूप से उत्तेजित महसूस करते हैं। यह जागरूकता स्वचालित प्रतिक्रिया के चक्र को रोकने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे आप अपनी पहचान बताने वाले ‘मैं’ (अहम्) और अपनी उपस्थिति बताने वाले ‘मैं’ (अपने सच्चे स्व) के बीच अंतर करना सीख सकते हैं। इसका अर्थ है अपनी पहचान के उस हिस्से को जानना और उसके साथ तालमेल बैठाना जो भय या अतीत से प्रभावित है।

हृदय की आवाज़ अंतरात्मा की आवाज़ है। अहंकार की आवाज़ मन की आवाज़ है।” - चारीजी

2. धीमा हो जाएँ

एक बार आप अपने तनाव या परेशानी की पहचान कर लेते हैं तो जानते-बूझते थोड़ा समय लेकर धीमा होने की कोशिश करें। ‘धीमा हों’ शब्दों का बोलकर उच्चारण करें या इनको मन ही मन धीरे-धीरे लंबा खींचते हुए बोलें -

धीऽऽऽऽऽमा होंऽऽऽऽ।

ऐसा करते समय अपने हृदय की ओर ध्यान देते हुए गहरी साँस लें ताकि आपकी साँस आपके पूरे अस्तित्व को सौम्य और शांत कर दे। इसे तीन बार करें तथा हर बार करने से पहले गहरी साँस लें। साँसों के बीच के विराम का पूरी तरह से अनुभव करें जिससे शांति और स्पष्टता प्राप्त हो सके।

3. दैनिक जीवन में शामिल करें

धीमा होने की तकनीक सबसे अधिक तब प्रभावी होती है जब नियमित रूप से इसका अभ्यास पूरे दिन किया जाता है। आप अपने काम में हर बदलाव के पहले इसका इस्तेमाल करें, जैसे फ़ोन कॉल के बाद, अवकाश लेते समय या एक काम के बाद दूसरा काम शुरू करने के पहले। जब भी आप इस तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, आप अपने मन को राय बनाने से जागरूकता की ओर, प्रतिक्रिया से प्रत्युत्तर की ओर जाने का प्रशिक्षण देते हैं।

विवाद का रूपांतरण

जैसे-जैसे आप धीमा होने की तकनीक का अभ्यास करते जाएँगे, वैसे-वैसे आप विवाद को समझने और उस पर प्रतिक्रिया देने के अपने तरीके में बदलाव महसूस करने लगेंगे। आपके शरीर में तनाव कम होगा और आप अपने भीतर निहित नियोजन को ठीक से समझ पाएँगे जो सक्रिय हो गया है। अतीत की स्वचालित प्रतिक्रियाओं से नियंत्रित रहने के बजाय आप खुद को वर्तमान में अधिक स्थिर पाएँगे और परिस्थिति को एक नए दृष्टिकोण से देख पाएँगे।

अति सक्रियता के समय पर हार्टफुलनेस के सफ़ाई का अभ्यास करने की या किसी प्रशिक्षक के साथ सिटिंग लेने की सोचें। यह अतिरिक्त सहायता सक्रिय नियोजन की ऊर्जा को मुक्त करने में आपकी मदद कर सकती है जिससे धीमा होने के अभ्यास को आप अधिक गहनता से कर सकेंगे।

धीमा होने के अभ्यास को अपनाना

तेज़ रफ़्तार वाली इस दुनिया में धीमा होने की योग्यता सिर्फ़ विलासिता नहीं है बल्कि यह सचेत व उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने के लिए एक आवश्यकता है। धीमा होने की तकनीक आपको अपने वास्तविक ‘स्व’ से फिर से जुड़ने, अतीत की स्वचालित प्रतिक्रियाओं से मुक्त होने और अपने गहनतम मूल्यों और आकांक्षाओं के अनुरूप जीवन जीने का एक व्यावहारिक और प्रभावशाली तरीका प्रदान करती है।

 

धीमा होने की तकनीक आपको अपने वास्तविक ‘स्व’ से फिर से जुड़नेअतीत की स्वचालित प्रतिक्रियाओं से मुक्त होने और अपने गहनतम मूल्यों और आकांक्षाओं के अनुरूप जीवन जीने का एक व्यावहारिक और प्रभावशाली तरीका प्रदान करती है।

 

जैसे-जैसे आप इस अभ्यास को अपनी दिनचर्या में शामिल करेंगे, आप पाएँगे कि आप जीवन में अधिक सहजता, स्पष्टता और दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। जिन विवादों से निपटना कभी असंभव लगता था, वे प्रगति और सीखने के अवसर बन जाएँगे। आपके रिश्ते प्रगाढ़ होंगे, आपका स्वास्थ्य बेहतर होगा और आप में अपने वास्तविक उद्देश्य के बारे में स्पष्टता आएगी।

अंततः, धीमा होने के अभ्यास से आप जीवन जीने का तरीका चुनने की अपनी शक्ति को पुनः प्राप्त कर पाते हैं। इससे आप महज़ जीवित रहने की मनःस्थिति से सर्वांगीण विकास की मनःस्थिति की ओर, अविचारित प्रतिक्रिया करने से विचारपूर्ण प्रत्युत्तर देने की ओर, भय से बाध्य होने के बजाय प्रेम द्वारा निर्देशित होने की ओर बढ़ते हैं। जैसे-जैसे आप इस अभ्यास को अपनाएँगे, आपको वह गहरी शांति और आनंद मिलेगा जो स्वयं के साथ, अपने हृदय के साथ और अपने आस-पास की दुनिया के साथ सामंजस्य में रहने से मिलता है।

जैसा कि दाजी बहुत खूबसूरती से कहते हैं, “जब हम हृदय से जुड़ते हैं तब समय जैसे धीमा हो जाता है और उस शांति में हर चीज़ व्यवस्थित हो जाती है।” अत: धीमा होने के अभ्यास को सचेत, उद्देश्यपूर्ण व सौहार्दपूर्ण जीवन जीने की यात्रा में अपना मार्गदर्शक बनाएँ।

 

जैसे-जैसे आप इस अभ्यास को अपनाएँगेआपको वह गहरी शांति और आनंद मिलेगा जो स्वयं के साथअपने हृदय के साथ और अपने आस-पास की दुनिया के साथ सामंजस्य में रहने से मिलता है।

 

 

सुझाव - धीमा होने की तकनीक के सामर्थ्य का पूरी तरह से उपयोग करने के लिए इसे अपने नियमित हार्टफुलनेस अभ्यासों में समाहित कर लें। अपने मन को केंद्रित करने और अपने हृदय से जुड़ने के लिए सुबह के ध्यान से अपने दिन की शुरुआत करें जिससे दिनभर के लिए एक शांत और केंद्रित मनोभाव बन जाए। इसके बाद शाम की सफ़ाई करें ताकि संचित तनाव एवं भावनात्मक बोझ दूर हो सकें और आपके अंदर गहन जागरूकता विकसित हो तथा पूरा दिन धीमा होने की तकनीक का अधिक प्रभावशाली उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त हो।


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