श्रवण बांदा बायोफ़ीलिया और वेटलैंड्स (नमभूमि) में पीएचडी अध्येता हैं तथा कमोडोर कमलेश कुमार हिंदुस्तान सॉल्ट्स लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक हैं। यहाँ वे हमारे भोजन में इस्तेमाल होने वाली सबसे महत्वपूर्ण सामग्री – नमक का इतिहास बता रहे हैं।
नमक एक आवश्यक सामग्री है जिसकी मानव इतिहास और संस्कृति में हज़ारों वर्षों से महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह ज़्यादातर पाक-शैलियों का अनिवार्य अंग है, जो खाद्य-संरक्षण में काम आता है और विभिन्न व्यंजनों के स्वाद को बढ़ाता है। प्राचीन काल से ही नमक का एक समृद्ध इतिहास रहा है। ऐतिहासिक दृष्टि से नमक केवल एक पाक सामग्री ही नहीं बल्कि यह आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण रहा है। इसे चल मुद्रा के रूप में प्रयोग किया जाता था और नमक का उत्पादन व व्यापार बहुत लाभप्रद उद्योग बन गए थे। भारत में नमक का पाककला परंपरा और देश की सामाजिक-आर्थिक संरचना में विशेष स्थान रहा है। यहाँ भारतीय नमक की दो किस्मों – सांभर झील नमक और सांभर झील काला नमक - के उद्गम और उपयोगिता के बारे में जानकारी प्रस्तुत है।
सांभर नमक का उद्गम
सांभर नमक राजस्थान की सांभर झील से आता है। यह अपने खास स्वाद और क्षारीय गुण के कारण प्रसिद्ध है और यही विशेषता इसे नमक की अन्य किस्मों से अलग बनाती है। देश के नमक उद्योग में इसका विशिष्ट स्थान है। सांभर झील भारत की खारे पानी की सबसे बड़ी झीलों में से एक है और अपने अत्यधिक नमक सघनता के लिए प्रसिद्ध है। पिछली कई शताब्दियों से इस झील से नमक का उत्पादन हो रहा है। मौर्य साम्राज्य के समय में इस नमक के उपयोग होने के लिखित प्रमाण हैं।
सांभर नमक एक प्राकृतिक वाष्पीकरण की प्रक्रिया द्वारा बनता है जिससे इसमें खनिज तत्वों और शैवालयुक्त स्रोत से आए हुए प्राकृतिक आयोडीन की सघनता होती है। यह प्रक्रिया नमक की क्षारीय प्रकृति को बनाए रखने में सहायता करती है। इसके कई स्वास्थ्य संबंधी लाभ हैं। ऐसा माना जाता है कि क्षारीय भोजन खाने से शरीर का pH स्तर संतुलित हो जाता है और यह अम्लता (एसिडिटी) को कम करता है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि क्षारीय आहार पाचन को सुधारने, ऊर्जा स्तरों को बढ़ाने एवं संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायता करता है।
क्षारीय गुणों के साथ-साथ सांभर नमक में सांभर झील में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण खनिज तत्वों जैसे सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम और आयरन भी समाहित होते हैं। ये सब खनिज नमक के पोषकमान को बढ़ाते हैं। नमक में इन खनिज तत्वों की मौजूदगी इसके स्वाद को अद्वितीय बनाती है और इससे बनने वाले व्यंजनों के स्वाद को भी बढ़ाती है।
सांभर नमक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों और अपने व्यंजनों में अनोखा स्वाद चाहने वाले लोगों का भी मनपसंद नमक है। चाहे इसे सांभर की पारंपरिक व्यंजन विधियों में इस्तेमाल किया जाए या फिर विभिन्न व्यंजनों में मसाले की तरह इस्तेमाल किया जाए, सांभर नमक व्यंजनों के स्वाद में गहराई और विशिष्टता जोड़ देता है।
सांभर झील काला नमक – एक अद्भुत औषधीय पदार्थ
नमक की एक स्वादिष्ट किस्म है सांभर झील काला नमक। इसे सदियों से विभिन्न पाक शैलियों और पारंपरिक औषधीय पद्धतियों में प्रयोग किया जाता रहा है। त्रिफला जड़ी-बूटियों को नमक में मिलाया जाता है जिससे उसका स्वाद अनोखा हो जाता है और उससे स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं। त्रिफला तीन जड़ी-बूटियों से बनता है – अमलकी (आँवला), हरीतकी (हरड़) और बिभीतकी (बहेड़ा)। इन तीनों जड़ी- बूटियों को प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में अपने अनगिनत स्वास्थ्य लाभों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। त्रिफला में पाचक गुण होते हैं और आमतौर पर इसे पाचन संबंधी समस्याओं, जैसे पेट फूलना और बदहज़मी आदि, में एक प्राकृतिक उपचार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें विषहरण गुण भी होता है और यह शरीर में इलेक्ट्रोलाइट को भी संतुलित करता है।
सांभर झील नमक की उत्पादन प्रक्रिया में पीढ़ियों से चलती आ रही पारंपरिक पद्धति का ही प्रयोग होता है। पौधे के पदार्थों को सावधानीपूर्वक चुना जाता है और उन्हें जलाकर उनकी राख बनाई जाती है। उस राख को फिर नमक में मिलाया जाता है और लगभग 48 घंटे के लिए अत्यंत सूक्ष्म छनने या निथरने की प्रक्रिया के लिए रख दिया जाता है। राख में मौजूद घुलनशील लवणों को अलग कर लिया जाता है और नमक के साथ मिला दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप सांभर झील काला नमक का विशिष्ट काला रंग और अद्वितीय स्वाद प्राप्त होता है।
राख में मौजूद घुलनशील लवणों को अलग कर लिया जाता है और नमक के साथ मिला दिया जाता है।
इसके परिणामस्वरूप सांभर झील काला नमक का विशिष्ट काला रंग और अद्वितीय स्वाद प्राप्त होता है।
इसकी प्रमुख विशेषताओं में से एक इसकी गंधक (Sulphur) की खुशबू है जो इसमें सूक्ष्म मात्रा में गंधक के संयोजन (Compounds) मौजूद होने के कारण आती है। यह विशिष्ट स्वाद सांभर झील काला नमक को विभिन्न व्यंजनों खासकर भारतीय और एशियाई पाक-शैलियों में एक लोकप्रिय मसाला बनाता है। इसे अक्सर सलाद, फलों, नाश्ते, चाट और चटनियों का स्वाद बढ़ाने के लिए मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। चाहे इसे व्यंजनों में इस्तेमाल किया जाए या फिर औषधीय गुणों के कारण उपचार में इस्तेमाल किया जाए, त्रिफला युक्त सांभर झील नमक अपनी समृद्ध परंपरा और विविध गुणों के कारण हमेशा सराहा जाता है।
हालाँकि सांभर झील काला नमक एक अनोखे स्वाद और अनेक स्वास्थ्य लाभों से परिपूर्ण है लेकिन इसका सेवन अन्य किस्म के नमक की तरह संतुलित मात्रा में ही करना चाहिए। जिन व्यक्तियों को कुछ विशेष आहार संबंधी परहेज़ करना पड़ता है या जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हैं, उन्हें अपने भोजन में इसे शामिल करने से पहले चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
भारत में नमक के लंबे इतिहास के कारण इसका सांस्कृतिक और पाककला क्षेत्र दोनों में विशेष महत्व है।
भारत में नमक के लंबे इतिहास के कारण इसका सांस्कृतिक और पाककला क्षेत्र दोनों में विशेष महत्व है। प्राचीन व्यापार मार्गों से लेकर आधुनिक समय की रसोई तक नमक भोजन पकाने के लिए सदैव एक अनिवार्य सामग्री रहा है। भारतीय नमक की विशिष्ट किस्में जैसे सांभर झील नमक और सांभर झील काला नमक भारत में नमक की परंपरागत विरासत की विविधता और समृद्धि को दर्शाती हैं।
तो अगली बार जब भी आप स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लें या प्राकृतिक औषधि के क्षेत्र में अन्वेषण करें तो नमक की इस उल्लेखनीय यात्रा और भारत के इतिहास में इसकी रूपांतरकारी भूमिका को अवश्य याद रखें।
नोट - इस लेख में प्रस्तुत जानकारी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भों के आधार पर दी गई है और प्रयोग से पूर्व चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

श्रवण बांदा
श्रवण की विशेषज्ञता आर्द्ररभूूमि का निर्मााण और अपशिष्ट जल चुनौतियोंं का समाधान करना है। वे आईजीबीसी द्वारा मान्यता प्राप्त एक ग्रीन बिल्डिंग प्रोफेशनल याानी हरित भवन व्यवसायी और 'सोसाइटी ऑफ वेटलैंंड साइंंटिस्ट्स', यूएसए के सदस्य हैं। उन... और पढ़ें