7 अप्रैल, विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर सारा बब्बर हमें संयम पर एक बौद्ध कहानी बता रही हैं। वे हमें कुछ सरल सुझाव भी दे रही हैं जिनकी मदद से हम एक स्वस्थ व खुशहाल ज़िंदगी जी सकते हैं।

राजा जो जंगली घोड़े पालता था

एक समय की बात है, एक राजा हुआ करता था जिसे जंगली घोड़ों को पकड़ कर, उन्हें पालतू बनाना बहुत पसंद था। उसके सैनिकों को भी इस खेल में उसका साथ देने में बड़ा आनंद आता था। यह खेल बहुत ही तेज़ रफ़्तार का, मज़ेदार और युक्तिपूर्ण होता था। कुछ सैनिक ऐसे भी थे जिन्हें अपने राजा के साथ मिलकर उन जंगली घोड़ों को प्रशिक्षण देने में मज़ा आता था। दूर-दराज़ से लोग साल में दो बार इस रोमांचक कार्यक्रम को देखने के लिए आया करते थे। 

कुछ दिन के बाद राजा को थोड़ी सुस्ती महसूस होने लगी और उन्हें इस खेल में रोमांच आना बंद हो गया। आखेट शुरू होते ही वे उसे बंद करा देते थे और तेज़ घोड़ों के पीछे भागने में उन्हें अब कोई रुचि नहीं रह गई थी। एक बार राजा का भतीजा उनके साथ घुड़सवारी कर रहा था। राजा ने अचानक सबको रुक जाने का आदेश दिया। भतीजे ने जब उनसे रुकने का कारण पूछा तो राजा को लगा कि वह उनके आदेश पर सवाल उठा रहा है और उन्होंने इसे अपना अपमान समझा। उन्हें लगा की उनके स्वास्थ्य और शरीर पर व्यंग्य कसा जा रहा है।

एक बार जब राजा दोपहर का भोजन कर रहे थे तब उनका भतीजा सुदस्सन अंदर आया और उसने उन्हें याद दिलाया कि एक महान गुरु गौतम बुद्ध उनके राज्य में प्रवचन करने वाले हैं। राजा भी उनका प्रवचन सुनना चाहते थे, इसलिए खाना खत्म करके वे भी सुदस्सन के साथ उद्यान की ओर चल दिए। गौतम बुद्ध अपना प्रवचन दे रहे थे और राजा को भर पेट खाना खाने के कारण नींद आने लगी। जागे रहने के लिए वे बार-बार अपने आप को चुटकी काटने लगे।

प्रवचन समाप्त होने पर जब सब लोग चले गए तब राजा बुद्ध के पास गए। महात्मा बुद्ध ने उनसे उनका हाल-चाल पूछा। राजा ने उन्हें अपने बिगड़े हुए स्वास्थ्य के बारे में बताया और कहा कि उनकी सुस्ती बहुत बढ़ गई है खासकर खाना खाने के बाद और कोई भी चुस्ती-फुर्ती वाले काम करने में वे असमर्थ हैं। महात्मा बुद्ध ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति सुअर की तरह अत्यधिक खाना खाएगा तो वह कभी भी इस दुनिया के जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त नहीं हो पाएगा। उन्होंने राजा को एक मंत्र दिया और कहा कि जब कभी भी उन्हें ज़्यादा खाना खाने की इच्छा हो तब वे उस मंत्र को बोलें।

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राजा ने बताया कि स्मरणशक्ति कमज़ोर होने की वजह से वे कोई भी नई चीज़ याद नहीं रख पा रहे थे। तब गौतम बुद्ध ने कहा कि वे उस मंत्र को उनके भतीजे, सुदस्सन, को दे देंगे। अब जब भी राजा भोजन लेते समय ज़्यादा खाने लगते तो सुदस्सन उस मंत्र का जाप करने लगता और फिर राजा अधिक भोजन लेने से अपने आपको रोक लेते। वक्त बीतता गया और राजा की अत्याहर लेने की आदत कम होती गई और धीरे-धीरे सुदस्सन को मंत्र जाप करने की ज़रूरत भी नहीं रही।

राजा को फिर से घोड़ों का पीछा करने और उन्हें पकड़ने में आनंद आने लगा। उन्हें सब बातें याद रहने लगीं और वे अपने सभी कर्तव्यों का पालन अच्छी तरह करने लगे। उन्हें अब छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा भी नहीं आता था और न ही किसी की कही हुई बात का वे गलत मतलब निकालते थे।

कुछ महीनों बाद जब गौतम बुद्ध फिर उनके राज्य में आए तो राजा उनका प्रवचन सुनने के लिए गए। प्रवचन के बाद वे महात्मा बुद्ध से मिलने गए। महात्मा बुद्ध ने उनका हाल-चाल पूछा तो राजा ने उनका धन्यवाद किया क्योंकि उनकी मदद से वे फिर से एक स्वस्थ व्यक्ति बन गए थे। सुनकर गौतम बुद्ध बहुत खुश हुए और राजा को समझाते हुए कहा कि स्वास्थ्य व्यक्ति की सबसे बड़ी संपत्ति है और संतोष सबसे बड़ी खुशी है। हर कार्य में संयम का होना ही इसका एकमात्र उपाय है।


बौद्ध कथा पर आधारित - 

https://www.ancient-buddhist-texts.net/English-Texts/Buddhist-Legends/15-06.htm


 

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स्वस्थ रहने के लिए कुछ सुझाव

7 अप्रैल को हम विश्व स्वास्थ्य दिवस मानते हैं क्योंकि 7 अप्रैल1948 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की पहली बैठक हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन अपने संदेश में कहता है, “एक अच्छे स्वास्थ्य का अर्थ केवल रोग या दुर्बलता का न होना ही नहीं है; इसका मतलब है शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तौर पर पूर्णतः स्वस्थ रहना।” 

हम एक अच्छा स्वास्थ्य कैसे बनाए रख सकते हैं?

स्वास्थ्य हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है। चूँकि हमारे मन और शरीर सुचारू रूप से चल रहे हैं इसलिए हम बहुत कुछ कर पाते हैं। यह यथासंभव इसी तरह सुचारू रूप से चलते रहें इसके लिए हम क्या कर सकते हैं? 

अपनी दिनचर्या में शामिल करने के लिए कुछ सुझाव दे रही हूँ -

1. स्वास्थ्यकर भोजन लें - खाना हमारे शरीर के लिए ईंधन का काम करता है। अपने शरीर को प्रभावकारी और उपयोगी रखने के लिए सादा, हल्का और संतुलित आहार लें। निश्चय ही आप बाहर खा सकते हैं लेकिन आप जितनी बार अस्वास्थ्यकर खाना खाते हैं उसकी तुलना में सादा भोजन अधिक खाएँ। 

 

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2. पर्याप्त नींद लें - आपके शरीर को काफ़ी आराम की ज़रूरत होती है। जब हम सोते हैं तब शरीर अपनी मरम्मत करता है। इसलिए चुस्त-दुरुस्त और स्वस्थ रहने के लिए आठ घंटे की नींद ज़रूर लें। 

 

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3. अपने मन को व्यस्त रखें - अपने आप को उन कार्यों में व्यस्त रखें जो आपको पसंद हों - नई चीज़ें सीखने, नए खेल खेलने या अपने शौक या रुचि के कार्यों में व्यस्त रहने से आपके दिमाग की तंत्रिकाएँ यानी न्यूरॉन चुस्त और जीवंत रहती हैं और आपका मन क्रियाशील रहता है। 

 

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4. तनाव रहित कार्य और समय होने पर कार्य करना बंद करने की आदत डालें - ऐसी कुछ गतिविधियाँ करें जिनसे आप दिन भर में जमा हुए तनाव को दूर कर सकें। संगीत, ध्यान, किताबें पढ़ना, डायरी लिखना कुछ ऐसी गतिविधियाँ हैं जो आपका तनाव कम करने में आपकी मदद करती हैं। कुछ भी न करते हुए कुछ देर शांत बैठे रहने से भी आप तरोताज़ा महसूस कर सकते हैं और एक नए दृष्टिकोण के साथ वापस काम में लग सकते हैं।

 

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5. व्यायाम - आपका शरीर सक्रियता के लिए बना है; इसलिए जूते पहनें और दौड़ लगाएँ या बॉस्केटबॉल खेलें या गर्मी के दिनों में तैरने चले जाएँ। सीधे-सादे लुका-छुपी या पकड़ा-पकड़ी के खेलों से भी आपका शरीर स्वस्थ और तंदुरुस्त रह सकता है।

 

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गतिविधि - आपका स्वास्थ्यवर्धक शब्द कौन सा है? 

इस पहेली में से स्वास्थ्य एवं कल्याण से संबंधित 15 शब्द ढूँढें -

 

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उत्तर के लिए निम्नांकित वेबसाइट पर जा सकते हैं -

https://www.heartfulnessmagazine.com/hi/a-tale-of-moderation


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सारा बब्बर

सारा एक कहानीकार, मोंटेसरी सलाहकार और बच्चों की एक पुस्तक की लेखिका हैं। वे एक प्रकृतिवादी भी हैं और बाल्यावस्था में पारिस्थितिकी चेतना के विषय में डॉक्टरेट कर रही हैं। वे आठ वर्षों... और पढ़ें

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