घरवातावरणअपने और पृथ्वी के स्वास्थ्य को सुधारने का एक सरल तरीका

दाजी समझाते हैं कि अपने और पृथ्वी के स्वास्थ्य एवं कल्याण के लिए शाकाहारी भोजन क्यों अच्छा है। इसके कुछ कारण आपको चकित कर देंगे। योग विज्ञान में इस विषय पर बहुत विस्तृत जानकारी उपलब्ध है और अब चिकित्सा विज्ञान भी इस ओर आगे बढ़ रहा है। दाजी हम सभी को तीन महीनों के लिए एक प्रयोग करने के लिए कह रहे हैं।

 

अध्ययन बताते हैं कि शाकाहारी भोजन से हृदय रोग, मधुमेह, मनोभ्रंश (dementia), उच्च रक्तचाप, मोटापा, कुछ प्रकार के कैंसर और अनेक अन्य रोगों का खतरा कम हो जाता है।”

-डेविड सुज़ूकी

 

जब हम खुद मारे गए जानवरों के जीवित कब्रिस्तान बने हुए हैं तब हम इस पृथ्वी पर किसी आदर्श स्थिति की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?”

-जॉर्ज बर्नार्ड शॉ

 

प्रिय मित्रों,

यदि आप पृथ्वी के लिए और अपने स्वास्थ्य के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं तो शायद आपको शाकाहारी भोजन अपनाना चाहिए। अत्यधिक माँसाहार एक ऐसी विलासिता है जिसे हमारी प्रजाति को त्यागना होगा यदि हम जलवायु संकट और अपनी दीर्घकालीन स्वास्थ्य समस्याओं को हल करना चाहते हैं। मैं अलास्का की इन्यूइट जैसी प्रजातियों की बात नहीं कर रहा हूँ जहाँ माँसाहार एक ज़रूरत है बल्कि मैं उन समुदायों की बात कर रहा हूँ जिन्हें ताज़ी सब्ज़ियाँ और फल वर्ष भर उपलब्ध होते हैं।

ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय के वर्ष 2023 में प्रकाशित एक अध्ययन (स्कार्बोरो एवं अन्य) से पता चलता है कि शाकाहारी लोग पृथ्वी के स्वास्थ्य में काफ़ी सुधार लाते हैं। इस अध्ययन में 55,504 लोगों - वीगन, शाकाहारी, मछली खाने वाले और माँसाहारी - के आहार के आँकड़ों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, भूमि उपयोग, जल उपयोग, यूट्रोफ़िकेशन जोखिम (eutrophication risk) और संभावित जैव विविधता की कमी के खाद्य स्तरीय आँकड़ों से जोड़ा गया था। ये आँकड़े 119 देशों के 38000 खेतों से 570 जीवन-चक्र आकलनों की समीक्षा से प्राप्त हुए थे।

ज़्यादा माँसाहार करने वालों की तुलना में वीगन आहार का ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन, भूमि उपयोग, यूट्रोफ़िकेशन पर 25% प्रभाव, जैव विविधता की कमी पर 34% प्रभाव और जल उपयोग पर 46% प्रभाव पाया गया। यह जानते हुए कि खाद्य तंत्र से वैश्विक उत्सर्जन (global emissions) का लगभग एक तिहाई भाग उत्पन्न होता है तथा यह स्वच्छ पानी के 70% उपयोग के लिए और स्वच्छ पानी के प्रदूषण के लिए 78% ज़िम्मेदार है, ये आँकड़े अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाते हैं। और शाकाहारियों द्वारा मीथेन गैस उत्सर्जन माँसाहारियों की तुलना में 93% कम पाया गया।

उनका निष्कर्ष - लोगों के खान-पान के तरीकों में बदलाव से सबसे ज़्यादा समग्र प्रभाव पड़ेगा, हालाँकि खाद्य तंत्र के प्रभावों को कम करने के लिए अन्य उपायों की भी ज़रूरत है जैसे खाने की बर्बादी कम करना, संधारणीय व पुनर्योजी कृषि को बढ़ावा देना और स्थानीय खाद्य उत्पादन का समर्थन करना।

यूरोपीयन हार्ट जर्नल में वर्ष 2023 में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन के अनुसार, “शाकाहारी भोजन धमनियों की अवरुद्धता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जिसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क आघात व हृदयाघात जैसे हृदय और रक्त वाहिकाओं से संबंधित खतरों में कमी आती है।”

आज हम समाधान के लिए विज्ञान की तरफ़ देखते हैं लेकिन प्राचीन काल से, समस्त संस्कृतियों और युगों के ऋषि-मुनियों ने पृथ्वी पर कम नकारात्मक प्रभाव डालने के लिए और कम से कम ग्रहण करके अधिक से अधिक उत्पादन करने के लिए हल्का भोजन करने पर विशेष ध्यान दिया है। उन्होंने खाद्य और जल सहित सभी प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग में सावधानी बरतने एवं उनका संरक्षण करने को नैतिकता के रूप में परिभाषित किया है। आयुर्वेद का योग विज्ञान इसी अवधारणा पर आधारित है।

अनेक प्रसिद्ध व्यक्ति शाकाहारी रहे हैं उदाहरणार्थ लियोनार्डो दा विंची, जिन्होंने कहा था, “यदि आप, जैसा कि आप कहते हैं, पशुओं के राजा हैं...तो दूसरे पशुओं के बच्चों से अपना पेट भरने की बजाय उनकी सहायता क्यों नहीं करते?”

भोजन प्राण है, ऊर्जा का स्रोत है। यह न केवल भौतिक शरीर को पोषित करता है बल्कि इसका प्रभाव मानव तंत्र के तीनों शरीरों - स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर (मन) और कारण शरीर (आत्मा) तक फैलता है।

भोजन पर्यावरण के साथ हमारे ऊर्जा के संबंध का एक हिस्सा है और एक समझदार व्यक्ति, जब तक ज़रूरी न हो, इस ब्रह्मांड के एक अणु को भी नहीं छेड़ेगा क्योंकि वह सभी प्राणियों का सम्मान करता है। वह कुछ भी बर्बाद नहीं करता है। इससे पृथ्वी पर मनुष्य का नकारात्मक प्रभाव सबसे कम पड़ता है और जीवन के प्रत्येक क्षण को प्रकृति के साथ सामंजस्य में जीने का मनोभाव उत्पन्न होता है। फिर वह किसी भी रूप में उपलब्ध प्रकृति के उपहार से संतुष्ट रहता है।


शाकाहारी भोजन धमनियों की अवरुद्धता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जिसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क आघात व हृदयाघात जैसे हृदय और रक्त वाहिकाओं से संबंधित खतरों में कमी आती है।


मेरे गुरु व पथप्रदर्शक, शाहजहाँपुर के रामचंद्रजी (बाबूजी) निम्नलिखित सलाह देते हैं -

भोजन को स्वच्छता और शुद्धता के साथ सही तरीके से पकाना चाहिए। यह तो हुआ स्वच्छता का पक्ष, लेकिन यदि यह सात्विक है और ईश्वर के सतत स्मरण में पकाया गया है तो इसका प्रभाव अद्भुत होगा। और यदि इसे ईश्वर के सतत ध्यान में ग्रहण किया जाता है तो यह हर प्रकार की आध्यात्मिक बीमारियों को ठीक कर देगा और उन चीज़ों को हटा देगा जो हमारी प्रगति में बाधक हैं।”

 

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सात्विक भोजन क्या है? शुद्ध, प्राकृतिक, जीवनप्रद, ऊर्जावान, स्वच्छ, चैतन्य, सच्चा, ईमानदार, बुद्धिमान - ये सभी सात्विक गुण हैं। सात्विक आहार अहिंसा दर्शाता है जिसका अर्थ है दूसरे प्राणियों को नुकसान न पहुँचाना। इससे व्यक्ति भोजन संयम से करता है और अपने तंत्र से विषैले पदार्थों को निकालने के लिए (Detoxify) नियमित उपवास भी करता है।

सात्विक आहार मौसमी खाद्य पदार्थों पर ज़ोर देता है - फल, मेवे, बीज, तेल, पकी सब्ज़ियाँ, फलियाँ, साबुत अनाज और वनस्पति से प्राप्त प्रोटीन। दुग्ध उत्पादों को भी शामिल किया जा सकता है जब गायों को पुनर्योजी सिद्धांतो के अनुसार खिलाया और दुहा जाए। यह समझने के बाद कि भोजन उनके स्वास्थ्य को किस तरह प्रभावित करता है और पशुपालन किस तरह से पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहा है, अनेक लोग शाकाहार अपना रहे हैं।

चेतना का अध्ययन इसमें एक और गहरा परिप्रेक्ष्य जोड़ देता है - चेतना वह चित्रपट है जिस पर प्राण अपनी भूमिका निभाता है और इसमें हम जो भोजन करते हैं वह भी शामिल है। जानवरों की चेतना का स्तर और गुणवत्ता वनस्पति की चेतना के स्तर से
भिन्न होते हैं।


अपने मानवीय प्रभाव को कम करने के लिए हम शाकाहारी भोजन चुन सकते हैं जिससे अन्य प्राणियों को कम से कम दर्द हो।


खनिज, वनस्पति, जानवरों और मनुष्यों के तीन प्रकार के शरीरों का यौगिक विज्ञान हमें बताता है कि हल्का सात्विक भोजन हमारी चेतना के विकास के लिए किस तरह से लाभकारी है। माँसाहार में भारी स्पंदन होते हैं जबकि शाकाहारी भोजन हमारे पूरे तंत्र के हल्केपन को बनाए रखता है। और हम जितने ज़्यादा हल्के होंगे उतनी ज़्यादा सूक्ष्मता हम अपने सभी कामों में बनाए रखेंगे।

इसके अलावा पौधों के शरीर, मन और आत्मा, पशुओं की तुलना में अधिक घनिष्ठता से जुड़े होते हैं। पशु जितना अधिक विकसित होता है, उसमें उतने ही अधिक ये (शरीर, मन और आत्मा) एक-दूसरे से अलग और लचीले होते हैं। शरीर और मन के बीच बंधन जितना कम होगा, मृत्यु के समय उतनी ही अधिक दर्द की संभावना होगी। अपने मानवीय प्रभाव को कम करने के लिए हम शाकाहारी भोजन चुन सकते हैं जिससे अन्य प्राणियों को कम से कम दर्द हो।

हम अपने शरीर को जो भोजन देते हैं उसका एक निश्चित प्रभाव हमारे मन और आत्मा पर पड़ता है। इसलिए चाहे वह आपके अपने स्वास्थ्य के लिए हो या इस पृथ्वी के स्वास्थ्य के लिए, क्या आप शाकाहारी भोजन के साथ प्रयोग करने के लिए तैयार हैं? आप इसे तीन महीनों तक आज़माकर देख सकते हैं कि आप कैसा महसूस करते हैं।

इस प्रयोग के लिए मैं आपको शुभकामनाएँ देता हूँ।

दाजी


हम अपने शरीर को जो भोजन देते हैं उसका एक निश्चित प्रभाव हमारे मन और आत्मा पर पड़ता है।


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दाजी

दाजी हार्टफुलनेसके मार्गदर्शक

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