(1956 - वर्तमान)
श्री कमलेश डी.पटेल प्राचीन परंपरा की मौलिक आवाज़ हैं। वे दाजी के नाम से प्रसिद्ध हैं। हार्टफुलनेस ध्यान पर उनकी शिक्षाएँ, उनके व्यक्तिगत अनुभव से उत्पन्न हुई हैं जो दुनिया की महान आध्यात्मिक परंपराओं और वैज्ञानिक प्रगति के प्रति उनकी गहरी जिज्ञासा और सम्मान को दर्शाती हैं।
वर्ष 1956 में गुजरात में जन्मे दाजी को छोटी उम्र से ही ध्यान और आध्यात्मिकता में रुचि थी। उन्होंने उन्नीस साल की उम्र में हार्टफुलनेस ध्यान शुरू किया जब वे फ़ार्मासिस्ट यानी औषध विक्रेता बनने की पढ़ाई कर रहे थे। जल्द ही उनकी मुलाकात अपने पहले गुरु, बाबूजी से हुई जो हार्टफुलनेस परंपरा में दूसरे मार्गदर्शक थे। अहमदाबाद में एल.एम. कॉलेज ऑफ़ फ़ार्मेसी से ऑनर्स के साथ स्नातक होने के बाद, दाजी ने शादी कर ली और न्यूयॉर्क शहर चले गए। वहाँ उन्होंने और उनकी पत्नी ने अपने दो बेटों का पालन-पोषण किया। साथ ही उन्होंने धीरे-धीरे दवाइयों का एक सफल उद्योग स्थापित किया। उसी के साथ-साथ, दाजी ने बाबूजी के उत्तराधिकारी, चारीजी, के एक समर्पित शिष्य के रूप में ध्यान के प्रति अपने प्रेम को आगे बढ़ाना जारी रखा। इन वर्षों में, दाजी ने हार्टफुलनेस अभियान में संगठनात्मक रूप से और इसके संदेश को फैलाकर व इसकी पद्धति को सिखाकर, अत्यधिक सक्रिय भूमिका निभाई। वर्ष 2011 में चारीजी ने दाजी को अपने आध्यात्मिक उत्तराधिकारी के रूप में चुना।
हार्टफुलनेस अभियान का नेतृत्व करते हुए दाजी अब एक आधुनिक गुरु के कई कर्तव्यों को पूरा करते हैं, व्यापक रूप से यात्रा करते हैं और हर जगह साधकों की सहायता करते हैं। आज के युवाओं का व्यावहारिक आत्म-प्रबंधन के साधनों और सार्वभौमिक मूल्यों से विकास करने में दाजी का दृढ़ विश्वास है। उनके मार्गदर्शन में, 2,500 से अधिक स्कूलों, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्र और शिक्षक गण अब मूल्य-आधारित आत्म-विकास कार्यक्रमों से लाभान्वित हो रहे हैं।
अपने को आध्यात्मिकता का छात्र मानने वाले, दाजी अपना अधिकांश समय और ऊर्जा आध्यात्मिकता और चेतना के क्षेत्र में अपने व्यक्तिगत शोध के लिए समर्पित करते हैं और नियमित रूप से सार्वजनिक भाषण कार्यक्रमों, अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्मों और प्रसारण, मुद्रण और डिजिटल मीडिया के माध्यम से अपने निष्कर्ष बताते हैं। दाजी के लेख हफ़िंगटन पोस्ट, शिकागो ट्रिब्यून, टाइम्स ऑफ़ इंडिया और बिज़नेस स्टैंडर्ड जैसै विभिन्न प्रमुख प्रकाशनों में प्रकाशित हुए हैं। उनकी बहुप्रशंसित रेडियो सिटी स्वर्ण श्रृंखला, दिल की आवाज़, बारह एपिसोड तक चली।
दाजी प्राचीन परंपरा को आधुनिक वैज्ञानिक समझ से जोड़ने का समर्थन करते हैं और उन्होंने ध्यान व यौगिक प्राणाहुति के शारीरिक एवं आनुवंशिक प्रभावों पर शोध करने के लिए सौ वैज्ञानिकों के एक समूह को इकट्ठा किया है। वे आध्यात्मिकता को वैज्ञानिक पद्धति के साथ अपनाने में विश्वास करते हैं - एक व्यावहारिक दृष्टिकोण जो उनके अपने अनुभव और क्षेत्र में महारत से उत्पन्न हुआ है। जैसा वे अक्सर कहते हैं, "आप ही प्रयोगकर्ता हैं, आप ही प्रयोग हैं और आप ही परिणाम भी हैं।"
दाजी चाहते हैं कि हार्टफुलनेस ध्यान दुनिया भर के हर घर के लिए उपलब्ध हो। उनके मार्गदर्शन में, हार्टफुलनेस संस्थाएँ 130 देशों में हज़ारों हार्टस्पॉट्स और रिट्रीट केंद्रों पर निःशुल्क ध्यान प्रशिक्षण प्रदान करती हैं। हार्टफुलनेस प्रशिक्षक आईफ़ोन और एंड्रॉइड के लिए ‘हार्टफुलनेस ऐप’ के माध्यम से दूरस्थ रूप में और आमने-सामने बैठकर व्यक्तिगत व सामूहिक ध्यान के लिए दुनिया भर में उपलब्ध हैं।
दाजी के बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया
http://www.daaji.org/ पर जाएँ।